ICSE Class 10 Hindi Sample Question Paper 4 with Answers
Maximum Marks: 40
Time: 1 1/2 Hours
Section-A [20 Marks]
Question 1.
Write a short composition in Hindi of approximately 200 words on any one of the following topics:
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर हिन्दी में लगभग 200 शब्दों में निबंध लिखिए:
(i) बढ़ती महँगाई देश के लिए एक अभिशाप बन गई है। इसी समस्या को उजागर करते हुए एक निबंध लिखिए।
(ii) ‘आरक्षण’ देश के लिए वरदान है या अभिशाप। इस विषय पर पक्ष या विपक्ष में अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
(iii) “वन हमारी अनमोल धरोहर है।” इस विषय पर एक लेख लिखिए।
(iv) मन के हारे हार है, मन के जीते जीत-इस कहावत को आधार बनाकर एक मौलिक कहानी लिखिए।
(v) नीचे दिए गए चित्र को ध्यान से देखिए और चित्र को आधार बनाकर, उसका परिचय देते हुए कोई लेख, घटना अथवा कहानी लिखिए, जिसका सीधा व स्पष्ट संबंध चित्र से होना चाहिए।
Answer:
(i) जानलेवा महँगाई
भारत आज आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। परन्तु आज भी हम अनेक समस्याओं से जूझ रहे हैं। उनमें महँगाई प्रमुख है। महँगाई का अर्थ है-वस्तुओं के मूल्य इतनी तेजी से वृद्धि हो कि वह आम आदमी की पहुँच से बाहर हो। आज सामान्य उपभोग की सामग्री के मूल्य दिन-दूने रात-चौगुने हो रहे हैं।
इस बढ़ती महँगाई के अनेक कारण हैं। हमारे देश की जनसंख्या जिस अनुपात में बढ़ रही है, उस अनुपात में वस्तुओं का उत्पादन नहीं बढ़ रहा है। जिससे माँग और पूर्ति में सामंजस्य नहीं बैठ पाता और परिणाम होता है-मूल्यों में वृद्धि। केवल इतना ही नहीं, व्यापारी वर्ग अधिक से अधिक धन कमाने के चक्कर में जमाखोरी, कालाबाजारी के माध्यम से वस्तुओं का कृत्रिम अभाव पैदाकर दाम बढ़ा देते हैं। हमारी दोषपूर्ण वितरण प्रणाली भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। सरकारी दरों की दुकानों में या तो वस्तु मिलती नहीं है और अगर मिल भी जाए तो किस्म घटिया होती है। प्रशासन की शिथिलता के कारण व्यापारी वर्ग मनमानी कर रहा है। एक महीने में दो-दो, तीन-तीन बार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।
महँगाई का सीधा प्रभाव सामान्य जनता पर पड़ता है। वह आय और व्यय में सामंजस्य नहीं बिठा पाती। लोगों की दैनिक आवश्यकताएँ पूरी नहीं हो पातीं। वे बच्चों को उचित शिक्षा, भोजन एवं सुविधा नहीं दे पाते हैं। केवल इतना ही नहीं, ‘भूखा मरता क्या नहीं करता’ के आधार पर चोरी, डकैती, भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। बढ़ती महँगाई देश के लिए अभिशाप बन गई है। इससे देश का विकास अवरुद्ध हो जाता है। हमारी आर्थिक व्यवस्था चरमरा जाती है। अतः इस पर नियंत्रण करना आवश्यक है। इसके लिए सबसे पहले बढ़ती जनसंख्या पर रोक लगानी होगी। उत्पादन वृद्धि की ओर प्रयास किए जाएँ जिससे आम जनता को भी आवश्यक वस्तुएँ उपलब्ध हो सकें। लघु उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाए। सरकार की ओर से इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए अब कुछ उपाय किए गए हैं, वे काफी नहीं है। शक्ति और धन का उचित बँटवारा हो। तभी इस समस्या पर काबू पाया जा सकेगा। दिनकर जी के शब्दों में
“शांति नहीं तब तक, जब तक
सुख भाग न सबका सम हो”
(ii) आरक्षणः देश के लिए वरदान या अभिशाप
जब किसी देश, राष्ट्र अथवा समाज में कोई वस्तु, पदों की संख्या अथवा सुख-सुविधा आदि किसी व्यक्ति तथा वर्ग-विशेष के लिए आरक्षित कर दी जाती है तो उसकी ओर सबका ध्यान आकर्षित हो जाता है। इसी कारण पिछड़ी जातियों के लिए नौकरियों अथवा सरकारी पदों पर आरक्षण की घोषणा ने सम्पूर्ण देश के लोगों का ध्यान आकर्षित किया। इस ‘आरक्षण नीति’ के विरोध और समर्थन में अनेक आंदोलन हुए जिनसे अनेक विवाद खड़े हो गए। ‘आरक्षण’ एक विशेषाधिकार है। जो दूसरों के लिए बाधक और ईर्ष्या का कारण बन जाता है। किन्तु ‘आरक्षण’ समाज में आर्थिक विषमता को दूर करने का एक साधन भी है। देश में आरक्षण का समर्थन करने वाले विभिन्न आधारों पर आरक्षण की माँग करते हैं। इनमें जातिगत एवं शैक्षणिक तथा आर्थिक आधार प्रमुख है।
आरक्षण के पक्ष में तर्क दिया जाता है कि आरक्षण को जातिगत आधार बनाया गया है। इसलिए यह विधि सम्मत है। पिछड़ी जाति के योग्य और सुन्दर लड़के से भी ऊँची जाति के लोग शादी नहीं करते हैं और न उनके साथ समान व्यवहार करते हैं। इसलिए आरक्षण का आधार जातिगत भी स्वीकार किया गया है। प्रतिभा तथा योग्यता किसी ऊँचे कुल की धरोहर नहीं है, वह तो किसी भी व्यक्ति को मिल सकती है। इसके सैकड़ों प्रमाण मिल सकते हैं। भारत में आर्थिक विषमता का मुख्य कारण सदियों से दलित और शोषित जातियों के उत्थान की दिशा में प्रयास न होना है। मानसिक गुलामी आर्थिक गुलामी की अपेक्षा अधिक हानिकारक होती है।
इसीलिए उन्हें आरक्षण की आवश्यकता है। आरक्षण के विपक्ष में अनेकों तर्क सामने आये हैं, जैसे जातिगत पक्षपात की भावना को बढ़ावा नहीं मिल पाएगा। अयोग्य व्यक्तियों को भी आरक्षण के आधार पर महत्वपूर्ण पद मिल जाते हैं, जिससे कार्य-गति सुधरने की अपेक्षा शिथिल हो जाती है और प्रशासनिक सेवाओं का स्तर गिर जाता है। जातिगत आधार को मानकर किया गया आरक्षण इसलिए भी लाभदायक नहीं है, क्योंकि धनी और प्रभावी लोग ही इस सुविधा का लाभ उठा पाते हैं और जो इसके वास्तविक अधिकारी हैं, वे इस लाभ से वंचित रह जाते हैं। भारत की वर्तमान स्थिति इसी का परिणाम है।
आरक्षण का परिणाम यह है कि देश में धर्म, जाति व सम्प्रदाय के रूप में एक विषमता आ गई है। यद्यपि ‘आरक्षण की नीति’ का मूल उद्देश्य वर्ग-विशेष की आर्थिक स्थिति को सुधारना और समाज में शैक्षणिक सुविधाएँ देकर सभी को समानता का स्तर प्रदान करना है, किन्तु आरक्षण की नीति का आधार जातिगत हो जाने से इस व्यापक उद्देश्य की पूर्ति में बाधा उत्पन्न हो गई है। वस्तुतः भारत में आरक्षण को जिस प्रकार का राजनैतिक स्वरूप दे दिया गया है, वह इसकी मूल कल्याणकारी भावना पर ही कुठाराघात कर रहा है। इसका उद्देश्य सामाजिक एवं आर्थिक शोषण से मुक्ति दिलाकर शोषित व दलित वर्ग का उत्थान करना था, किन्तु यह आज जाति-भेद को प्रोत्साहन देकर जाति विद्वेष की भावना को बढ़ावा दे रहा है।
(iii) वन एवं वन्य संपदा
सामान्यतः एक ऐसा विस्तृत भू-भाग जो पेड़-पौधों से आच्छादित हो, ‘वन’ कहलाता है। वन मनुष्य के लिए प्रकृति का सबसे बड़ा वरदान हैं। वनों से हमें अनेक लाभ होते हैं। इनसे हमें प्राणवायु ऑक्सीजन मिलती है, जो हमारे जीवन का आधार है। इसके अतिरिक्त, वनों से हमें फर्नीचर के लिए लकड़ी, फल-फूल, जड़ी-बूटियाँ, औषधियाँ आदि वस्तुएँ प्राप्त होती हैं। वन मृदा अपरदन रोकने व वर्षा करवाने में भी सहायक होते हैं।
वनों का एक लाभ और भी है। इनके कारण ही वन्य-जीवन फलता-फूलता है। वन्य का अर्थ है-वन में उत्पन्न होने वाला। इस प्रकार वन्य-जीवन का तात्पर्य उन जीवों से है जो वन में पैदा होते हैं और वन ही उनका आवास-स्थल बनता है। एक अनुमान के अनुसार, भारत में लगभग 75000 प्रकार की जीव-प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से अधिकांश वनों में पाई जाती हैं। इनमें सिंह, चीता, लोमड़ी, गीदड़, लकड़बग्घा, हिरण, जिराफ, नीलगाय, साँप, मगरमच्छ आदि प्रमुख हैं। यदि वन न हों तो इन सभी जीवों का अस्तित्व ही मिट जाएगा, जबकि मनुष्य के साथ इन जीवों का सह-अस्तित्व आवश्यक है क्योंकि इससे प्रकृति में संतुलन बना रहता है। हालाँकि पिछले कुछ समय से वन एवं वन्य संपदा पर खतरा मँडरा रहा है। वनों से ढके हुए क्षेत्रों में कमी हो रही है, जिससे वन्य-जीवन भी विलुप्त होता जा रहा है। राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार, देश के 33% भू-भाग पर वन होने चाहिए परंतु इस नीति पर ठीक से अमल नहीं किया जा रहा है। प्रशासन तंत्र को शीघ्र ही इस विषय का संज्ञान लेना चाहिए और वन एवं वन्य संपदा के संरक्षण हेतु उचित कदम उठाने चाहिए।
(iv) मन के हारे हार है, मन के जीते
जीत किसी देश में वीरसिंह नाम का राजा रहता था। वह बहुत वीर और प्रजा का हित करने वाला था। उसकी प्रजा भी उससे बहुत प्यार करती थी। एक बार किसी बात से नाराज होकर उसके पड़ोसी राजा ने उस पर आक्रमण कर दिया। वीरसिंह अपनी सेना के साथ बहुत वीरता से लड़ा परंतु पराजित हो गया। उसके बहुत से सैनिक मारे गए। किसी प्रकार शत्रुओं से जान बचाता हुआ वह एक जंगल में जा पहुँचा और गुफा में रहने लगा। कुछ दिनों बाद उसे अपने परिवार व राज्य की याद आई। वह अपना खोया हुआ राज्य भी पुनः वापस चाहता है। परन्तु कोई उपाय नजर नहीं आ रहा था। वह मन से हार मान बैठा था।
एक दिन गुफा में बैठा-बैठा कुछ सोच रहा था, तभी उसकी दृष्टि एक मकड़ी पर पड़ी। वह दीवार पर चढ़ने का प्रयास कर रही थी। वह बार-बार प्रयास करती लेकिन गिर पड़ती। तो वीरसिंह को उस पर दया आ गई। किसी तिनके की मदद से राजा ने उसको सहारा दिया और वह मकड़ी आसानी से दीवार पर चढ़ गई। उस मकड़ी ने कई प्रयासों व मेहनत के बाद जाल बुनना शुरु किया और तैयार भी किया। राजा वीरसिंह यह सब देखकर समझ गए कि यदि हम अपने से नहीं हारे तो कोई भी कार्य कर सकते हैं। इसका उदाहरण स्वयं यह मकड़ी है। अतः राजा को अपनी कमजोरी समझ में आ गई। उनका खोया हुआ विश्वास फिर से जाग उठा। उसने सोचा कि जब ये मकड़ी बार-बार गिरने पर भी कोशिश कर दीवार पर चढ़ सकती है तो भला मैं अपने शत्रुओं को क्यों नहीं हरा सकता। राजा वीरसिंह की आँखों में आशा की चमक आ गई। उसने नए जोश एवं उत्साह व साहस से अपनी सेना तैयार की और शत्रु पर आक्रमण कर दिया। शत्रु अचानक किए गए आक्रमण पर निस्हाय हो गया और शत्रु की हार हो गई। राजा वीरसिंह को अपना राज्य व परिवार फिर से मिल गया। और वह अपने राज्य व परिवार के साथ शांति से रहने लगा। किसी ने ठीक कहा है
“मन के हार है, मन के जीते जीत।”
(v) भारत में शिक्षा व्यवस्था
शिक्षा की दृष्टि से भारत को जगद्गुरु की संज्ञा दी गई है। इसी भूमि पर सर्वप्रथम ज्ञान का प्रकाश फैला और यहीं से विश्व ने ज्ञान की ज्योति को ग्रहण किया। 19वीं शताब्दी के मध्य अंग्रेजों के आगमन से भारत की शिक्षा पद्धति भी प्रभावित हुई। वे नहीं चाहते थे कि भारतीय शिक्षा प्राप्त कर अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों, फलतः लार्ड मैकाले ने भारतीयों को केवल क्लर्क, चपरासी बनने योग्य ही शिक्षा के अवसर प्रदान किए। परिणामस्वरूप अधिकांश लोग अशिक्षित रह गए।
मानव व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा अनिवार्य है। इसके अभाव में मनुष्य न तो अपना विकास कर सकता है और न ही समाज के विकास में योगदान दे सकता है। जिस देश के नागरिक शिक्षित होंगे, वही देश उन्नति के पथ पर अग्रसर होगा, क्योंकि शिक्षित व्यक्ति ही उचित-अनुचित का भेदकर सकता है। अतः भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में नागरिकों का साक्षर होना अनिवार्य है। इसी दृष्टि से स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत सरकार ने ‘सर्वशिक्षा अभियान’ चलाया, जिसका अर्थ है-देश के छोटे-बड़े सभी को अक्षर ज्ञान कराने के लिए व्यापक प्रयास। इसके माध्यम से सभी को शिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया। केंद्र व राज्य सरकारें अपने-अपने ढंग से प्रयास कर रही हैं। विद्यालयों की संख्या में निरंतर होती वृद्धि, रात्रि पाठशालाएँ, आँगनबाड़ी आदि प्रयास उल्लेखनीय हैं। चौदह वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों के लिए शिक्षा अनिवार्य व नि:शुल्क कर दी गई है।
दिल्ली सरकार द्वारा आरम्भ की गई ‘लाडली योजना’ इस संबंध में एक ठोस कदम है। यह योजना जहाँ एक ओर समाज में बेटियों के प्रति भेदभाव समाप्त करने और उन्हें समुचित शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य को आगे बढ़ाती है, वहीं उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने व आत्मनिर्भर बनने के लिए भी प्रेरित करती है।
इस अभियान के परिणामस्वरूप निश्चित रूप से साक्षरों की संख्या बढ़ी है। स्वतंत्रता के समय जो साक्षरता दर 18.3% थी, वह आज लगभग 70% हो गई है। इन सभी प्रयासों के कारण ही केरल देश का पूर्ण साक्षर राज्य बना। पर अभी भी इस अभियान को सर्वव्यापी बनाने की आवश्यकता है। ‘आओ, हम सब पढ़ें-पढ़ाएँ के आधार पर स्वयं भी पढ़ें और दूसरों को भी साक्षर बनाएँ
साक्षरता का है जो प्रयासी,
वही है सच्चा भारतवासी।।
विद्यालय
Question 2.
Write a letter in Hindi of approximately 120 words on any one of the topics given below:
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर हिन्दी में लगभग 120 शब्दों में पत्र लिखिए:
आपके विद्यालय के पुस्तकालय में हिंदी की पुस्तकें, समाचार-पत्र और पत्रिकाएँ कम आती हैं। इस कमी की ओर ध्यानाकर्षित कराते हुए हिंदी की पुस्तकें, पत्र-पत्रिकाएँ मँगवाने हेतु अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र लिखिए।
अथवा
आपका छोटा भाई घर से दूर छात्रावास में रहता है। आप पत्र लिखकर प्रात:काल नियमित रूप से भ्रमण करने, योग एवं प्राणायाम करने के लिए प्रेरणादायी पत्र लिखिए।
Answer:
सेवा में,
प्रधानाचार्या जी,
जोसेफ मेरी कॉलेज,
कैलाश-पार्ट-2, दिल्ली।
विषयः हिन्दी की पुस्तकें, पत्र-पत्रिकाएँ एवं समाचार-पत्र मँगवाने के संबंध में।
महोदया,
विनम्र प्रार्थना है कि मैं आपके विद्यालय में दसवीं ‘ब’ का छात्र हूँ। इस विद्यालय का पुस्तकालय अत्यंत समृद्ध है, जिसमें विभिन्न विषयों की उच्च कोटि के विद्वानों द्वारा लिखी पुस्तकें हैं। गणित, विज्ञान जैसे विषयों पर पर्याप्त पुस्तकें हैं, किंतु इनमें से अधिकांश पुस्तकें अंग्रेजी माध्यम में हैं। यही हाल यहाँ आने वाली पत्रिकाओं एवं समाचार-पत्रों का भी है। यहाँ हिंदी में पुस्तकों, समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं की संख्या बहुत कम है। हम अपने अध्यापक से चंपक, नंदन, सुमन-सौरभ, चंदा-मामा आदि बाल पत्रिकाओं के नाम सुनते तो हैं, पर पढ़ने से वंचित रह जाते हैं। अतः आपसे प्रार्थना है कि हिन्दी विषय की पुस्तकें, बाल-पत्रिकाएँ तथा हिन्दी भाषा के समाचार-पत्र मँगवाने की कृपा करें। हम छात्र आपके आभारी रहेंगे।
सधन्यवाद,
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
मोहित राज
20 जनवरी, 20xx
अथवा
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली
5 मार्च, 20XX
प्रिय अनुज रोहित,
स्नेह।
तुम्हारे अध्यापक के पत्र द्वारा पता चला कि तुम्हारी पढ़ाई तो अच्छी चल रही है, पर तुम्हारा स्वास्थ्य गिरता जा रहा है। तुमने पिछले पत्र में कुछ अस्वस्थ होने की बात लिखी भी थी। तुम्हारे स्वास्थ्य का गिरना वास्तव में चिंता का विषय है। रोहित, तुम जानते हो कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। अपने शरीर को स्वस्थ एवं निरोग बनाए रखने के लिए स्वास्थ्य संबंधी कुछ आदतों एवं नियमों का पालन करना होगा। इसके लिए सर्वप्रथम तुम्हें प्रात:काल में बिस्तर त्यागकर पार्क या किसी बाग-बगीचे में भ्रमण करना चाहिए। प्रात:काल की स्वच्छ हवा आलस्य को दूर कर शरीर में ऊर्जा भर देती है। इससे मन प्रसन्न होता है जिससे पूरे मनोयोग से हम अपना काम कर पाते हैं। इसके अलावा तुम्हें प्रतिदिन योग एवं प्राणायाम भी करना चाहिए। प्राणायाम के माध्यम से फेफड़ों में गई शुद्ध वायु अनेक बीमारियों से छुटकारा दिलाती है।
आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि तुम उपर्युक्त बातों को अवश्य अपनाओगे तथा पत्र द्वारा सूचित करोगे।
तुम्हारी बड़ी बहन
विनीता सिंह
Section-B
(Answer questions from any of the two books that you have studied)
साहित्य सागर-संक्षिप्त कहानियाँ
Question 3.
(i) “मुझे तो तेरे दिमाग के कन्फ्यूजन का प्रतीक नज़र आ रहा है, बिना मतलब जिंदगी खराब कर रही है।” उपर्युक्त वाक्य की वक्ता और श्रोता का परिचय दीजिए।
(ii) रोजगार कार्यालय की दशा का वर्णन कीजिए।
(iii) वन में प्रजातंत्र की स्थापना के पीछे क्या कारण था?
(iv) आनंदी का चरित्र-चित्रण कीजिए।
Answer:
(i) उपर्युक्त वाक्य की वक्ता अरुणा और श्रोता चित्रा है। ये दोनों अभिन्न सहेलियाँ हैं। अरुणा और चित्रा पिछले छः वर्षों से छात्रावास में एक साथ रहते हैं। चित्रा एक चित्रकार है और अरुणा को लोगों की सेवा करने में आनंद मिलता है। वह एक समाजसेवी है।
(ii) रोजगार कार्यालय में बेरोजगार लोग अपना नाम लिखवाने आते हैं। नाम लिखवाने के लिए पूरा दिन कतार में खड़ा रहना पड़ता है। वहाँ के कर्मचारी नाम तो लिखते हैं पर साथ में यह भी बता देते हैं कि उन्हें जल्दी नौकरी नहीं मिलने वाली क्योंकि पहले से ही बहुत लोग इस कतार में लगे हुए हैं।
(iii) वन के पशुओं को ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वे अब सभ्यता के नज़दीक पहुंच गए हैं, जहाँ उन्हें एक अच्छी शासन व्यवस्था अपनानी चाहिए। अच्छी शासन व्यवस्था के लिए उन्हें प्रजातंत्र को अपना लेना चाहिए। इसी सोच के कारण वन के प्राणियों ने जंगल में प्रजातंत्र की स्थापना करना उचित समझा।
(iv) आनंदी एक बड़े घर की रूपवान, गुणवान तथा आदर्शवादी महिला है। यद्यपि वह अपने मायके में सुख-सुविधाओं में पली-बढ़ी है। फिर भी वह वर्तमान परिस्थितियों के अनुकूल अपने आपको बदलने की कला रखती है। वह अपने घर की एकता बनाए रखने के लिए सोच-समझ कर सभी निर्णय करती है। और बिखरते घर को बचा लेती है। यही उसका बड़प्पन है कि बिगड़ते काम को बना देती है।
साहित्य सागर-पद्य
Question 4.
(i) सूरदास जी ने किस सुख को दुर्लभ बताया है?
(ii) तुलसीदास जी किसे त्यागने के लिए कह रहे हैं?
(iii) चलना हमारा काम है-का भावार्थ लिखिए।
(iv) निम्न शब्द किसके प्रतीक हैं?
कविता के आधार पर बताइए –
- धूल
- नदी
- पेड़
- लता
- ताल
- बूढ़े पीपल
Answer:
(i) महाकवि सूरदास जी कहते हैं कि माता यशोदा को बाल कृष्ण की विविध क्रिया-कलापों को देखकर जो वात्सल्य सुख प्राप्त हो रहा है, उसे देवताओं, मुनियों को भी प्राप्त करना दुर्लभ है। ये सुख माता यशोदा जैसे किसी विरले भक्त को प्राप्त हो सकता है।
(ii) कवि के अनुसार जिन लोगों के हृदय में श्रीराम-जानकी जी नहीं, उनका त्याग कर देना चाहिए। चाहे वह हमारा कितना ही परम मित्र क्यों न हो। क्योंकि जिस मनुष्य के मन में भगवान राम के चरणों के प्रति स्नेह और प्रेम होता है उसी का जीवन मंगलमय होता है।
(iii) प्रस्तुत कविता में कवि शिवमंगल सिंह सुमन ने बताया है कि मानवीय जीवन चुनौतियों व कठिनाइयों से भरा है। लेकिन लक्ष्य प्राप्ति भी करनी है। जब तक आप अपनी मंजिल पर ना पहुँच जाएँ तब तक आराम नहीं करना चाहिए। रास्ते में विभिन्न प्रकार के लोग मिलेगें, उन सब में से आगे निकल कर हमें सफलता हाँसिल करनी होगी। जीवन किसी के लिए रुकता नहीं है। चलना ही हमारा काम है।
(iv) धूल-स्त्री
पेड़-नगरवासी
ताल-सेवक
नदी-स्त्री
लता-मेघ की नायिका
बूढ़े पीपल-गाँव के सबसे बुजुर्ग।
नया रास्ता
Question 5.
(i) हॉस्टल में मीनू अपना अधिकतर समय किसके साथ व्यतीत करती थी?
(ii) धनीमल और मायाराम कौन थे? उनके बीच क्या बातचीत हो रही थी?
(iii) मीनू का चरित्र-चित्रण कीजिए।
(iv) “आज मीनू का सपना पूरा हो गया”-स्पष्ट करें।
Answer:
(i) होस्टल में मीनू का मन बिल्कुल भी नहीं लगता था। यहाँ उसे सब नया और अजीब-सा प्रतीत होता था। उसकी अधिक सहेलियाँ भी नहीं बन पाईं थी इसीलिए वह अपना अधिकतर समय पुस्तकें पढ़ने में व्यतीत करती है।
(ii) धनीमल मेरठ के एक रईस और सरिता के पिता थे। मायाराम अमित के पिता थे। वह अपने परिवार सहित धनीमल की बेटी को देखने गए थे। उन दोनों के बीच इसी रिश्ते को लेकर आपसी बातचीत चल रही थी।
(iii) “नया रास्ता” उपन्यास की नायिका मीनू है। उपन्यास की कथा उसके इर्द-गिर्द घूमती है। वह पढ़ी-लिखी एवं साहसी युवती है। बार-बार विवाह के प्रस्तावों से अस्वीकृत किए जाने पर वह अपना रास्ता स्वयं चुनती है और आत्मनिर्भर बनकर दिखाती है। वह मेधावी, बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न, प्रगतिशील युवती है। अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति को पूरा करके ही वह कुशल अधिवक्ता बन पाई।
(iv) मीनू के जीवन में दो ही सपने थे-एक विवाह करने का और दूसरा वकील बनने का। अपनी मेहतन व लगन के बल पर वह एक प्रतिष्ठित वकील बन गई और बाद में एक अच्छे लड़के (अमित) की जीवनसंगिनी बनकर अपनी ससुराल भी चली गई। मीनू ने अपने जीवन में जो भी प्राप्त किया वह उसकी एकनिष्ठ मेहनत, लगन दृढ़ इच्छा शक्ति का फल है।
एकांकी संचय
Question 6.
(i) बनवीर कौन था? और वह कुँवरजी को क्यों मारना चाहता था?
(ii) किस कारण से दादाजी पेड़ से किसी डाली का अलग हो जाना पसंद नहीं करते हैं?
(iii) संयुक्त परिवार का प्रतीक प्रस्तुत एकांकी में किसे बताया गया है और क्यों?
(iv) उदय सिंह को बचाने के लिए क्या-क्या उपाय किए जा रहे थे? लिखिए।
Answer:
(i) बनवीर महाराणा साँगा के छोटे भाई पृथ्वीसिंह की दासी का एक पुत्र था। वह महत्वाकांक्षी था। राज्य प्राप्त करने के लिए वह षडयंत्र द्वारा उदयसिंह की हत्या कर स्वयं राजा, बनना चाहता था। चित्तौड़ में ‘दीपदान’ का उत्सव बनवीर के षड्यंत्र हेतु मनाया जा रहा था।
(ii) चूँकि दादाजी परिवार के अभिभावक हैं। वे परिवार को एक विशाल और सुखद पेड़ के रूप में देखते हैं। वे परिवार के एक-एक सदस्य को पेड़ की एक-एक डाली के रूप में देखते व समझते हैं। डालियाँ अलग हो जाने पर पेड़ का कोई अस्तित्व नहीं रह जायेगा। इस प्रकार एक अभिभावक की इस सोच के कारण दादाजी पेड़ से किसी डाली का अलग हो जाना पसंद नहीं करते।।
(iii) संयुक्त परिवार का प्रतीक एकांकी में विशाल वटवृक्ष को बताया गया है। यह इसलिए कि जिस प्रकार वटवृक्ष की छाया स्थायी, शीतल और सुखद होती है, उसी प्रकार संयुक्त परिवार के मुखिया का संरक्षण सुख व शान्ति बनाए रखता है। प्रस्तुत एकांकी में दादाजी इसका प्रत्यक्ष व जीवंत उदाहरण हैं।
(iv) उदय सिंह को बचाने के लिए पन्ना बहुत से उपाय करती है। वह उदय सिंह को सोना के बुलाने पर भी दीपदान उत्सव में नहीं भेजती है और सोना को वापस भेज देती है। सामली द्वारा उदय सिंह की हत्या के षड्यंत्र की सूचना मिलने पर वह उदय सिंह को कीरतबारी की टोकरी में लिटाकर महल से बाहर सुरक्षित स्थान पर भेज देती है तथा उसके स्थान पर अपने पुत्र चंदन को उसकी शैया पर लिटा देती है परंतु उपर्युक्त सभी प्रयास असफल रहते हैं।