ICSE Class 10 Hindi Solutions नया रास्ता – नया रास्ता

ICSE Class 10 Hindi Solutions नया रास्ता – नया रास्ता

ICSE SolutionsSelina ICSE SolutionsML Aggarwal Solutions

प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मीनू दुल्हन बनी, उसकी डोली सजी और अपने पिया संग ससुराल को चल दी। मीनू को पा लेने पर अमित भी अब अपने को भाग्यशाली अनुभव कर रहा था।
दुल्हन के रूप में सजी मीनू आज साधारण पढ़ी मीनू नहीं, वरन् एक प्रसिद्ध वकील मीनू थी, जिसने
आत्मविश्वास व लगन से विशेष ख्याति प्राप्त कर ली थी।
आज वह अपनी मंजिल तक पहुँच चुकी थी, जिसकी उसे तलाश थी।
‘विशेष ख्याति’ से क्या तात्पर्य है?

उत्तर:
‘विशेष ख्याति’ से यहाँ तात्पर्य मीनू के वकील बनने से है। मीनू ने अपनी लगन और परिश्रम के बलबूते पर अपना वकील बनने का लक्ष्य पूरा किया।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
दूसरे दिन प्रात: होते ही दयाराम जी के घर में मेहमानों के स्वागत के लिए विभिन्न प्रकार की तैयारियाँ प्रारंभ हो गई थीं। घर की सारी चीजें झाड़-पोंछकर यथा-स्थान लगा दी गई थीं। एक मध्यम श्रेणी की हैसियत के अनुसार बैठक को विशेष रूप से सुसज्जित किया गया।
आनेवाले मेहमान को विशेष महत्त्व क्यों दिया जा रहा है?

उत्तर :
दयाराम जी की बेटी मीनू साँवली होने के कारण अभी तक उसे कोई पसंद नहीं कर पाया था लेकिन मेरठ वालों को उसकी फोटो पसंद आ गई थी। अत: सभी को लगता था कि इस बार मीनू का रिश्ता हो ही जाएगा इसीलिए आने वाले मेहमान को महत्त्व दिया जा रहा था।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
दूसरे दिन प्रात: होते ही दयाराम जी के घर में मेहमानों के स्वागत के लिए विभिन्न प्रकार की तैयारियाँ प्रारंभ हो गई थीं। घर की सारी चीजें झाड़-पोंछकर यथा-स्थान लगा दी गई थीं। एक मध्यम श्रेणी की हैसियत के अनुसार बैठक को विशेष रूप से सुसज्जित किया गया।
“विभिन्न प्रकार की तैयारियाँ….” विशिष्ट संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
आज भी हमारे यहाँ लड़की वालों के यहाँ रिश्ता लेकर आना उत्सव से कम नहीं होता इसलिए वे अपनी तरफ़ से कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। अपनी हैसियत के मुताबिक या उससे भी बढ़ चढ़ कर मेहमानों को खुश करने का प्रयास करते हैं।
यहाँ पर भी दयाराम जी बेटी मीनू को देखने के संदर्भ में विभिन्न प्रकार की तैयारियाँ का उल्लेख किया गया है।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
दूसरे दिन प्रात: होते ही दयाराम जी के घर में मेहमानों के स्वागत के लिए विभिन्न प्रकार की तैयारियाँ प्रारंभ हो गई थीं। घर की सारी चीजें झाड़-पोंछकर यथा-स्थान लगा दी गई थीं। एक मध्यम श्रेणी की हैसियत के अनुसार बैठक को विशेष रूप से सुसज्जित किया गया।
आनेवाले मेहमान से परिवार के लोगों को क्या उम्मीद है?

उत्तर:
अभी तक मीनू के रंग-रूप के कारण उसका कहीं रिश्ता नहीं हो पाया था परंतु इस बार मेरठ में रहने वाले मायाराम जी के परिवार वालों को मीनू का फोटो पसंद आ गया था अत: परिवार वालों को इस बार पूरी उम्मीद थी कि इस बार मीनू का रिश्ता पक्का हो ही जाएगा।

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह स्वयं ही दृढ़ता व साहस की मूर्ति थी। उतार चढ़ाव तो हर इंसान की जिंदगी में आते ही रहते हैं। उसने विवाह का सपना ही देखना छोड़ दिया। उसके सामने इतनी लंबी जिंदगी पड़ी थी, जिसका वह एक क्षण भी व्यर्थ नहीं होने देना चाहती थी।
लेखिका मीनू को दृढ़ता व साहस की मूर्ति क्यों कह रही है?

उत्तर:
मीनू के रंग-रूप के कारण वह अनेक बार ठुकराई जा चुकी थी परंतु मेरठ वाले रिश्ते से उसे काफी उम्मीदें बंधी थी लेकिन वहाँ से भी जब उसे ठुकराया गया तो वह एकदम टूट सी जाती है। उसे लगने लगता है कि उसका जीवन व्यर्थ है। पर जल्दी ही अपने आप को संभाल लेती है और विवाह न करने का संकल्प लेकर अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने में लग जाती है।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह स्वयं ही दृढ़ता व साहस की मूर्ति थी। उतार चढ़ाव तो हर इंसान की जिंदगी में आते ही रहते हैं। उसने विवाह का सपना ही देखना छोड़ दिया। उसके सामने इतनी लंबी जिंदगी पड़ी थी, जिसका वह एक क्षण भी व्यर्थ नहीं होने देना चाहती थी।
विवाह के अलावा मीनू के जीवन का लक्ष्य क्या था?

उत्तर:
यूँ तो मीनू को बचपन से ही वकील बनने की इच्छा थी परंतु उसके माता-पिता उसे होस्टल भेजने के पक्ष में न होने के कारण उसकी यह इच्छा पूरी नहीं हो पा रही थी। पर अंत में मीनू की लगन देखकर उन्होंने उसे आज्ञा दे दी इस प्रकार विवाह के अलावा मीनू का लक्ष्य वकील बनना था।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह स्वयं ही दृढ़ता व साहस की मूर्ति थी। उतार चढ़ाव तो हर इंसान की जिंदगी में आते ही रहते हैं। उसने विवाह का सपना ही देखना छोड़ दिया। उसके सामने इतनी लंबी जिंदगी पड़ी थी, जिसका वह एक क्षण भी व्यर्थ नहीं होने देना चाहती थी।
मीनू समाज के झूठे आवरण को हटाकर एक सत्य दिखाना चाहती है – स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
यहाँ पर मीनू समाज को यह दिखाना चाहती थी कि केवल विवाह ही किसी लड़की की मंजिल नहीं होती है। लड़की के सामने विवाह के अतिरिक्त भी अन्य कई विकल्प मौजूद होते है।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह स्वयं ही दृढ़ता व साहस की मूर्ति थी। उतार चढ़ाव तो हर इंसान की जिंदगी में आते ही रहते हैं। उसने विवाह का सपना ही देखना छोड़ दिया। उसके सामने इतनी लंबी जिंदगी पड़ी थी, जिसका वह एक क्षण भी व्यर्थ नहीं होने देना चाहती थी।
प्रस्तुत पंक्तियों का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर:
प्रस्तुत पंक्तियों का भावार्थ यह है कि इंसान को परिस्थिति के आगे हार नहीं माननी चाहिए। मीनू ने भी परिस्थिति के आगे हार नहीं मानी और अपना ध्यान लक्ष्य को पूरा करने में केंद्रित कर दिया।

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
धनीमल जी व मायाराम जी आपस में कुछ बातें की और सब वहाँ से उठकर चल दिए। अमित और सरिता को एकांत में बात करने का अवसर दिया गया। अमित ने सरिता से कुछ प्रश्न किए। अमित ने पूछा,” आपकी किस चीज में रूचि है?”
सरिता ने तपाक से जवाब दिया, “जी, मुझे पेंटिंग व कार ड्राइविंग में विशेष रूचि है।”
धनीमल और मायाराम कौन हैं? उनके बीच क्या बातचीत हो रही है?

उत्तर:
धनीमल मेरठ के एक बड़े रईस और सरिता के पिता हैं। मायाराम अमित के पिता हैं।
मायाराम अपने परिवार सहित धनीमल की बेटी को देखने आए हुए हैं। इस समय उन दोनों के बीच इसी रिश्ते को लेकर आपस में बातचीत चल रही है।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
धनीमल जी व मायाराम जी आपस में कुछ बातें की और सब वहाँ से उठकर चल दिए। अमित और सरिता को एकांत में बात करने का अवसर दिया गया। अमित ने सरिता से कुछ प्रश्न किए। अमित ने पूछा,” आपकी किस चीज में रूचि है?”
सरिता ने तपाक से जवाब दिया, “जी, मुझे पेंटिंग व कार ड्राइविंग में विशेष रूचि है।”
अमित और सरिता किस विषय में बात कर रहे हैं?

उत्तर:
अमित और सरिता आपस में खुलकर बातचीत कर सके इसलिए दोनों के परिवार वालों ने उन्हें अकेला छोड़ दिया। अमित और सरिता इस समय औपचारिक वार्तालाप के दौरान अपनी पसंद-नापसंद, पढ़ाई-लिखाई और रुचियों की बातें कर रहे हैं।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
धनीमल जी व मायाराम जी आपस में कुछ बातें की और सब वहाँ से उठकर चल दिए। अमित और सरिता को एकांत में बात करने का अवसर दिया गया। अमित ने सरिता से कुछ प्रश्न किए। अमित ने पूछा,” आपकी किस चीज में रूचि है?”
सरिता ने तपाक से जवाब दिया, “जी, मुझे पेंटिंग व कार ड्राइविंग में विशेष रूचि है।”
मुझे पेंटिंग व कार ड्राइविंग में विशेष रूचि है – स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
यहाँ पर अमित को आपसी बातचीत के दौरान सरिता के बारे में यह पता चलता है कि उसे पेंटिंग व कार ड्राइविंग का शौक है। अमित को आश्चर्य होता है कि एक गृहस्थी को सुचारू रूप से चलाने के लिए कई चीजों को आवश्यकता होती है और सरिता को घर के कामों में कोई दिलचस्पी नहीं थी।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
धनीमल जी व मायाराम जी आपस में कुछ बातें की और सब वहाँ से उठकर चल दिए। अमित और सरिता को एकांत में बात करने का अवसर दिया गया। अमित ने सरिता से कुछ प्रश्न किए। अमित ने पूछा,” आपकी किस चीज में रूचि है?”
सरिता ने तपाक से जवाब दिया, “जी, मुझे पेंटिंग व कार ड्राइविंग में विशेष रूचि है।”
उनकी बातचीत का निष्कर्ष क्या होगा?

उत्तर:
अमित और सरिता ने जब आपस में बातचीत की तो अमित को सरिता के बारे में जानने का मौका मिला उस बातचीत से यह निष्कर्ष निकला कि सरिता को घर के कामों में कोई रूचि नहीं थी।

प्रश्न घ-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
उस निमंत्रण – पत्र को हाथ में लेकर वह फिर अतीत की स्मृतियों में डूब गई। वह अपने को अभागन महसूस कर रही थी। कई लड़के उसे देखकर नापसंद का चुके थे यह कल्पना करते ही उसका दिल भर आया। तभी उसने अपने को संभाला और अपनी सहेलियों के साथ बाहर चली गई।
यहाँ पर किसका निमंत्रण आया है?

उत्तर:
यहाँ पर मीनू की अभिन्न सहेली नीलिमा के विवाह का निमंत्रण आया है।

प्रश्न घ-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
उस निमंत्रण – पत्र को हाथ में लेकर वह फिर अतीत की स्मृतियों में डूब गई। वह अपने को अभागन महसूस कर रही थी। कई लड़के उसे देखकर नापसंद का चुके थे यह कल्पना करते ही उसका दिल भर आया। तभी उसने अपने को संभाला और अपनी सहेलियों के साथ बाहर चली गई।
अतीत की स्मृतियों में डूब जाने पर मीनू क्यों उदास हो जाती है?

उत्तर:
मीनू को जब उसकी अभिन्न सहेली नीलिमा के विवाह का निमंत्रण पत्र आता है तब वह उसे अतीत की बातें याद आने लगती है कि किस प्रकार अतीत में कई बार उसे कई लड़के ना-पसंद कर चुके थे। उन बातों को याद कर मीनू उदास हो जाती है।

प्रश्न घ-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
उस निमंत्रण – पत्र को हाथ में लेकर वह फिर अतीत की स्मृतियों में डूब गई। वह अपने को अभागन महसूस कर रही थी। कई लड़के उसे देखकर नापसंद का चुके थे यह कल्पना करते ही उसका दिल भर आया। तभी उसने अपने को संभाला और अपनी सहेलियों के साथ बाहर चली गई।
कई लड़के उसे देखकर नापसंद कर चुके थे – स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
मीनू साधारण नैन-नक्श की साँवले रंग-रूप की लड़की थी जिसके कारण उसे कोई भी पसंद नहीं कर रहा था। यहाँ पर कहने का तात्पर्य यह है कि मीनू गुणों से भरी हुई लड़की थी पर सभी ऊपरी चमक-दमक को ही महत्त्व दे रहे थे।

प्रश्न घ-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
उस निमंत्रण – पत्र को हाथ में लेकर वह फिर अतीत की स्मृतियों में डूब गई। वह अपने को अभागन महसूस कर रही थी। कई लड़के उसे देखकर नापसंद का चुके थे यह कल्पना करते ही उसका दिल भर आया। तभी उसने अपने को संभाला और अपनी सहेलियों के साथ बाहर चली गई।
मीनू अपनी सहेलियों के साथ कहाँ जा रही है?

उत्तर:
मीनू को उसकी अभिन्न सहेली नीलिमा के विवाह का निमंत्रण पत्र आता है। तब वह अतीत की यादों में खो जाती है और उदास हो जाती है परंतु फिर अपनी स्थिति को संभाल कर अपनी सहेलियों के साथ पूर्वनियोजित योजनानुसार बाहर चली जाती है।

प्रश्न ड.-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
तभी बारात में आए एक नवयुवक ने उसकी आवाज की प्रशंसा करते हुए कहा, “आपकी आवाज बहुत मधुर है, क्या सुंदर गीत सुनाया है आपने।” मीनू ने जैसे ही सिर उठाकर ऊपर की ओर देखा, तो वह आश्चर्यचकित हो उठी। अरे! ये तो वही लड़का है अमित है। जो मेरठ उसे देखने आया था। उसके मुँह से अपनी प्रशंसा सुनने के बाद उसके ह्रदय में कोई प्रसन्नता की अनुभूति नहीं हुई।
नवयुवक कौन है?

उत्तर:
नवयुवक अमित है। ये वही है जो कुछ दिनों पहले मीनू देखने के लिए आया था और उसका रिश्ता यह कहकर ठुकराया था कि उन्हें मीनू के बदले उसकी छोटी बहन पसंद आ गई थी।

प्रश्न ड.-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
तभी बारात में आए एक नवयुवक ने उसकी आवाज की प्रशंसा करते हुए कहा, “आपकी आवाज बहुत मधुर है, क्या सुंदर गीत सुनाया है आपने।” मीनू ने जैसे ही सिर उठाकर ऊपर की ओर देखा, तो वह आश्चर्यचकित हो उठी। अरे! ये तो वही लड़का है अमित है। जो मेरठ उसे देखने आया था। उसके मुँह से अपनी प्रशंसा सुनने के बाद उसके ह्रदय में कोई प्रसन्नता की अनुभूति नहीं हुई।
मीनू उस नवयुवक को देखकर क्यों चौंक गई?

उत्तर:
मीनू अपने सामने अमित को देखकर चौंक गई। मीनू ने यह कल्पना नहीं की थी कि किसी दिन अमित से उसका सामना इस तरह होगा।

प्रश्न ड.-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
तभी बारात में आए एक नवयुवक ने उसकी आवाज की प्रशंसा करते हुए कहा, “आपकी आवाज बहुत मधुर है, क्या सुंदर गीत सुनाया है आपने।” मीनू ने जैसे ही सिर उठाकर ऊपर की ओर देखा, तो वह आश्चर्यचकित हो उठी। अरे! ये तो वही लड़का है अमित है। जो मेरठ उसे देखने आया था। उसके मुँह से अपनी प्रशंसा सुनने के बाद उसके ह्रदय में कोई प्रसन्नता की अनुभूति नहीं हुई।
मीनू अपनी प्रशंसा सुनकर खुश क्यों नहीं हुई?

उत्तर:
अमित ने जब मीनू की प्रशंसा की तो वह खुश नहीं हुई क्योंकि अमित वही लड़का था जिसने कुछ दिनों पूर्व उसका रिश्ता ठुकराया था।

प्रश्न ड.-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
तभी बारात में आए एक नवयुवक ने उसकी आवाज की प्रशंसा करते हुए कहा, “आपकी आवाज बहुत मधुर है, क्या सुंदर गीत सुनाया है आपने।” मीनू ने जैसे ही सिर उठाकर ऊपर की ओर देखा, तो वह आश्चर्यचकित हो उठी। अरे! ये तो वही लड़का है अमित है। जो मेरठ उसे देखने आया था। उसके मुँह से अपनी प्रशंसा सुनने के बाद उसके ह्रदय में कोई प्रसन्नता की अनुभूति नहीं हुई।
उसकी भावनाओं को ठेस पहुँचाई – स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
यहाँ पर अमित ने मीनू जैसी गुणी लड़की का रिश्ता ठुकराकर उसकी भावनाओं को ठेस पहुँचाई थी। मीनू पढ़ी-लिखी गुणी लड़की थी परंतु अमित के माता-पिता ने अमीर लड़की का रिश्ता आने के कारण उसके रिश्ते को यह कहकर ठुकराया कि उन्हें मीनू के बदले उसकी छोटी बहन पसंद आई है जबकि वास्तव में वे धनीमल की बेटी सरिता से अमित का विवाह करवाना चाहते थे।

प्रश्न च-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“भइया, मैं सच कह रही हूँ। जवान बेटियों की तो बड़ी भारी जिम्मेदारी होती है। इनकी शादी हो जाएगी तो तुझे कम-कम-से छुट्टी तो मिल जाएगी। फिर रोहित, वह तो लड़का है उसकी कोई ऐसी बात नहीं है।” बुआजी ने बहुत विश्वास के साथ कहा।
वह महिला कौन है और भइया को क्या समझा रही है?

उत्तर:
वह महिला मीनू की बुआ है। वह अपने भइया को बेटियों के विवाह का महत्त्व समझा रही है। बुआ के अनुसार बेटियों के शादी हो जाने से माता-पिता को बहुत बड़े कामों से मुक्ति मिल जाती है।

प्रश्न च-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“भइया, मैं सच कह रही हूँ। जवान बेटियों की तो बड़ी भारी जिम्मेदारी होती है। इनकी शादी हो जाएगी तो तुझे कम-कम-से छुट्टी तो मिल जाएगी। फिर रोहित, वह तो लड़का है उसकी कोई ऐसी बात नहीं है।” बुआजी ने बहुत विश्वास के साथ कहा।
किसके विवाह की चिंता कर रही है?

उत्तर:
बुआ अपनी भतीजी मीनू और आशा की विवाह की चिंता कर रही है। मीनू और आशा के पिता की तबियत भी खराब रहती थी और ऊपर से अभी तक मीनू और आशा का विवाह भी न हुआ था अत: बुआ इनके विवाह की चिंता कर रही है।

प्रश्न च-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“भइया, मैं सच कह रही हूँ। जवान बेटियों की तो बड़ी भारी जिम्मेदारी होती है। इनकी शादी हो जाएगी तो तुझे कम-कम-से छुट्टी तो मिल जाएगी। फिर रोहित, वह तो लड़का है उसकी कोई ऐसी बात नहीं है।” बुआजी ने बहुत विश्वास के साथ कहा।
हमारे समाज में लड़के के विवाह की अपेक्षा लड़की के विवाह को आज इतना महत्त्व क्यों दिया जाता है?

उत्तर:
हमारे समाज में स्त्री को दोयम दर्जे का समझा जाता है। माता-पिता बेटी को एक भार और बोझ समझते हैं। बेटी को पराया धन समझा जाता है। उसके विपरीत बेटे को घर का चिराग और कुलदीपक समझा जाता है। और यही कारण है कि लड़की के विवाह को हमारे समाज में इतना अधिक महत्त्व दिया जाता है। माता-पिता को लगता है कि बेटी के विवाह से उनके सिर से एक बड़ी भारी जिम्मेदारी उतर जाएगी।

प्रश्न च-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“भइया, मैं सच कह रही हूँ। जवान बेटियों की तो बड़ी भारी जिम्मेदारी होती है। इनकी शादी हो जाएगी तो तुझे कम-कम-से छुट्टी तो मिल जाएगी। फिर रोहित, वह तो लड़का है उसकी कोई ऐसी बात नहीं है।” बुआजी ने बहुत विश्वास के साथ कहा।
प्रस्तुत पंक्तियों के अर्थ अपने शब्दों में व्यक्त करो।

उत्तर:
प्रस्तुत पंक्तियों का अर्थ यह है कि बेटियाँ माता-पिता की बड़ी जिम्मेदारियाँ होती है। वे उनका विवाह करके ही इस जिम्मेदारी से मुक्त हो सकते हैं।

प्रश्न छ-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
तभी नीलिमा ने मीनू को शादी के बारे में पूछ लिया, “मीनू, तू शादी नहीं कर रही है अभी? मैंने सुना है आशा का रिश्ता हो गया है।”
“हाँ नीलिमा ! आशा का रिश्ता हो गया है। लड़का इंजीनियर है। घर भी अच्छा है।”
“पर मीनू, तू शादी के लिए तैयार क्यों नहीं है?” “नीलिमा ने पूछा।
“नीलिमा, अब मैं कुछ निराश सी हो गई हूँ। कौन करेगा मुझसे शादी?”
नीलिमा कौन है? वह मीनू को राय क्यों दे रही है?

उत्तर:
नीलिमा मीनू की हमउम्र और उसकी अभिन्न मित्र है। वह मीनू को विवाह करने की सलाह दे रही है। नीलिमा को जब पता चलता है कि मीनू की छोटी बहन का रिश्ता तय हो गया है और मीनू ने शादी न करने का निर्णय लिया है तो उसे विवाह समय पर करने की राय देती है।

प्रश्न छ-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
तभी नीलिमा ने मीनू को शादी के बारे में पूछ लिया, “मीनू, तू शादी नहीं कर रही है अभी? मैंने सुना है आशा का रिश्ता हो गया है।”
“हाँ नीलिमा ! आशा का रिश्ता हो गया है। लड़का इंजीनियर है। घर भी अच्छा है।”
“पर मीनू, तू शादी के लिए तैयार क्यों नहीं है?” “नीलिमा ने पूछा।
“नीलिमा, अब मैं कुछ निराश सी हो गई हूँ। कौन करेगा मुझसे शादी?”
शादी के नाम से मीनू उदास क्यों हो जाती है?

उत्तर:
मीनू का रिश्ता कई बार साधारण रंग-रूप होने के कारण ठुकराया जा चुका है इसलिए जब उसकी सहेली नीलिमा उसकी शादी के विषय में पूछताछ करती है तो वह उदास हो जाती है।

प्रश्न छ-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
तभी नीलिमा ने मीनू को शादी के बारे में पूछ लिया, “मीनू, तू शादी नहीं कर रही है अभी? मैंने सुना है आशा का रिश्ता हो गया है।”
“हाँ नीलिमा ! आशा का रिश्ता हो गया है। लड़का इंजीनियर है। घर भी अच्छा है।”
“पर मीनू, तू शादी के लिए तैयार क्यों नहीं है?” “नीलिमा ने पूछा।
“नीलिमा, अब मैं कुछ निराश सी हो गई हूँ। कौन करेगा मुझसे शादी?”
नीलिमा उसकी शादी के लिए उत्साहित क्यों है?

उत्तर:
नीलिमा और मीनू हमउम्र सहेलियाँ हैं। नीलिमा की शादी हो चुकी है और वह चाहती है कि उसकी सहेली मीनू का भी विवाह हो जाय इसलिए वह उसकी शादी के लिए उत्साहित है।

प्रश्न छ-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
तभी नीलिमा ने मीनू को शादी के बारे में पूछ लिया, “मीनू, तू शादी नहीं कर रही है अभी? मैंने सुना है आशा का रिश्ता हो गया है।”
“हाँ नीलिमा ! आशा का रिश्ता हो गया है। लड़का इंजीनियर है। घर भी अच्छा है।”
“पर मीनू, तू शादी के लिए तैयार क्यों नहीं है?” “नीलिमा ने पूछा।
“नीलिमा, अब मैं कुछ निराश सी हो गई हूँ। कौन करेगा मुझसे शादी?”
“कौन करेगा मुझसे शादी?” भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
यहाँ पर नीलिमा के प्रश्न के उत्तर में मीनू के मुँह से यह उद्गार निकलते हैं। मीनू का रिश्ता बहुत बार ठुकराया जा चुका था उसे अब अपने विवाह की कोई उम्मीद नहीं बची थी ऐसे मैं अपनी सहेली के इस प्रश्न से वह निराश हो जाती है और कहती है कि अब कौन उसके साथ शादी करेगा।

प्रश्न ज-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
यह कैसी विचित्र घड़ी होती है। माता-पिता जिस बेटी का लालन-पालन इतने वर्षों तक लाड़-प्यार करते हैं, उसी बेटी को सदा के लिए दूसरे के हाथों में सौंप देते हैं। हर पल रहने वाली बिटिया के लिए वह घर पराया हो जाता है। घर ही क्या, बिटिया भी तो पराया धन ही हो जाती है।
यहाँ विचित्र घड़ी से क्या उद्देश्य है?

उत्तर:
यहाँ पर विचित्र घड़ी से उद्देश्य बेटी के विवाह से है। यहाँ पर कहने का तात्पर्य यह है कि जिस बेटी का माता-पिता लालन-पालन बड़े ही प्यार से करते हैं अंत में एक दिन वे उसे किसी दूसरे के हाथों कैसे सौंप पाते हैं।

प्रश्न ज-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
यह कैसी विचित्र घड़ी होती है। माता-पिता जिस बेटी का लालन-पालन इतने वर्षों तक लाड़-प्यार करते हैं, उसी बेटी को सदा के लिए दूसरे के हाथों में सौंप देते हैं। हर पल रहने वाली बिटिया के लिए वह घर पराया हो जाता है। घर ही क्या, बिटिया भी तो पराया धन ही हो जाती है।
किसका विवाह हो रहा है?

उत्तर:
यहाँ पर मीनू की छोटी बहन आशा का विवाह हो रहा है।

प्रश्न ज-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
यह कैसी विचित्र घड़ी होती है। माता-पिता जिस बेटी का लालन-पालन इतने वर्षों तक लाड़-प्यार करते हैं, उसी बेटी को सदा के लिए दूसरे के हाथों में सौंप देते हैं। हर पल रहने वाली बिटिया के लिए वह घर पराया हो जाता है। घर ही क्या, बिटिया भी तो पराया धन ही हो जाती है।
वर्षों के लाड़-प्यार के बाद लड़की को बिछुड़ना क्यों पड़ता है?

उत्तर:
हमारे समाज में बेटी पराया धन मानी जाती है। प्रत्येक माता-पिता एक अमानत के तौर पर बेटी की देखभाल करते हैं। इसलिए वर्षों के लाड़-प्यार के बाद लड़की को बिछुड़ना पड़ता है।

प्रश्न ज-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
यह कैसी विचित्र घड़ी होती है। माता-पिता जिस बेटी का लालन-पालन इतने वर्षों तक लाड़-प्यार करते हैं, उसी बेटी को सदा के लिए दूसरे के हाथों में सौंप देते हैं। हर पल रहने वाली बिटिया के लिए वह घर पराया हो जाता है। घर ही क्या, बिटिया भी तो पराया धन ही हो जाती है।
‘बेटी पराया धन होती है’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
बेटी पराया धन होती है इसका अर्थ यह है कि बेटियों का बड़े प्यार से लालन-पालन किया जाता है और एक दिन उनका विवाह होकर वे दूसरों के घर चली जाती है इसलिए उन्हें पराया धन कहा जाता है।

प्रश्न झ-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
उन्होंने लिफाफा खोलकर देखा तो वे प्रसन्न हो गईं। उनके भतीजे दीपक की शादी का कार्ड था। कितनी प्रसन्न थीं आज वह। उनको अपने भाई के पास गए हुए भी कई वर्ष हो गए थे। उन्होंने सोचा कि इस बार वे शादी में जाएँगी, तब कुछ दिनों के लिए वहाँ रुकेंगी।
दीपक कौन है? वक्ता का उससे क्या संबंध है?

उत्तर:
दीपक अमित की माँ के भाई का बेटा है। इस रिश्ते से अमित की माँ दीपक की बुआ है।

प्रश्न झ-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
उन्होंने लिफाफा खोलकर देखा तो वे प्रसन्न हो गईं। उनके भतीजे दीपक की शादी का कार्ड था। कितनी प्रसन्न थीं आज वह। उनको अपने भाई के पास गए हुए भी कई वर्ष हो गए थे। उन्होंने सोचा कि इस बार वे शादी में जाएँगी, तब कुछ दिनों के लिए वहाँ रुकेंगी।
शादी में जाने के लिए वे इतना उत्साहित क्यों है?

उत्तर:
अमित की माँ शादी में जाने को उत्साहित इसलिए है क्योंकि दीपक उनके भाई का लड़का है और साथ ही कई वर्षों के बाद वे अपने भाई से इस विवाह के कारण मिल पाएँगी।

प्रश्न झ-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
उन्होंने लिफाफा खोलकर देखा तो वे प्रसन्न हो गईं। उनके भतीजे दीपक की शादी का कार्ड था। कितनी प्रसन्न थीं आज वह। उनको अपने भाई के पास गए हुए भी कई वर्ष हो गए थे। उन्होंने सोचा कि इस बार वे शादी में जाएँगी, तब कुछ दिनों के लिए वहाँ रुकेंगी।
‘शादी शब्द सुनकर एक अजीब प्रसन्नता यहाँ क्यों छा जाती है?

उत्तर:
अमित का रिश्ता सरिता से टूट जाने के बाद से इस घर में अजीब-सी शांति छा गई थी घर के सभी सदस्य अपने-अपने काम से निकल जाते थे और अमित की माँ घर में अकेली रह जाती थी इसलिए शादी शब्द सुनकर एक अजीब प्रसन्नता यहाँ छा जाती है।

प्रश्न झ-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
उन्होंने लिफाफा खोलकर देखा तो वे प्रसन्न हो गईं। उनके भतीजे दीपक की शादी का कार्ड था। कितनी प्रसन्न थीं आज वह। उनको अपने भाई के पास गए हुए भी कई वर्ष हो गए थे। उन्होंने सोचा कि इस बार वे शादी में जाएँगी, तब कुछ दिनों के लिए वहाँ रुकेंगी।
शादी के पीछे छिपे भाव को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
यहाँ पर शादी के पीछे छिपे अमित की माँ के मन में हुई खुशी के भाव से है। अमित की माँ पिछले कई वर्षों से अपने भाई से नहीं मिल पाई थी अब इस शादी के अवसर पर वह शादियों की खुशियों के साथ अपने भाई से भी मिल पाएँगी।

प्रश्न ट-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
एक घंटे का समय कहाँ व्यतीत करे, उसकी कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था। तभी उसने एक पत्रिका खरीदी और पास में पड़ी बेंच पर बैठकर पढ़ने लगी। हर दस मिनट के बाद उसकी नज़र घड़ी पर चली जाती। एक-एक पल काटना कठिन हो रहा था।
वक्ता परेशान क्यों है?

उत्तर:
वक्ता मीनू अमित के एक्सीडेंट हो जाने के कारण परेशान है।

प्रश्न ट-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
एक घंटे का समय कहाँ व्यतीत करे, उसकी कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था। तभी उसने एक पत्रिका खरीदी और पास में पड़ी बेंच पर बैठकर पढ़ने लगी। हर दस मिनट के बाद उसकी नज़र घड़ी पर चली जाती। एक-एक पल काटना कठिन हो रहा था।
उसे यह समय बहुत लंबा क्यों लग रहा है?

उत्तर:
मीनू को जब नीलिमा से अमित के एक्सीडेंट की खबर मिलती है तो वह उसे देखने के लिए मेडिकल कॉलेज पहुँच जाती है परंतु वहाँ जाने के बाद उसे पता चलता है कि मरीजों से मिलने का समय सुबह के दस बजे से है और उस समय नौ बजे थे और वह जल्द से जल्द अमित को मिलना चाहती थी इसलिए उसे वह समय लंबा लग रहा था।

प्रश्न ट-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
एक घंटे का समय कहाँ व्यतीत करे,उसकी कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था। तभी उसने एक पत्रिका खरीदी और पास में पड़ी बेंच पर बैठकर पढ़ने लगी। हर दस मिनट के बाद उसकी नज़र घड़ी पर चली जाती। एक-एक पल काटना कठिन हो रहा था।
इस इंतजार का वास्तविक उद्देश्य क्या है?

उत्तर:
इस इंतजार का वास्तविक उद्देश्य यह है कि मीनू के मन में अमित के प्रति जो घृणा थी वह अब स्नेह में बदल गई है। इसलिए वह अमित की एक्सीडेंट की खबर सुनकर बैचैन हो जाती है और जल्द से जल्द उससे मिलना चाहती है।

प्रश्न ट-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
एक घंटे का समय कहाँ व्यतीत करे, उसकी कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था। तभी उसने एक पत्रिका खरीदी और पास में पड़ी बेंच पर बैठकर पढ़ने लगी। हर दस मिनट के बाद उसकी नज़र घड़ी पर चली जाती। एक-एक पल काटना कठिन हो रहा था।
यह कथन किस परिप्रेक्ष्य में कहा गया है?

उत्तर:
यह कथन अमित के एक्सीडेंट और मीनू के मन परिवर्तन के परिपेक्ष्य में कहा गया है। मीनू अपना रिश्ता अमित द्वारा ठुकराए जाने के कारण उसे पसंद नहीं करती परंतु नीलिमा द्वारा सच जानने के बाद मीनू का मन परिवर्तन हो गया था और अब वह अमित से स्नेह करने लगी थी।

प्रश्न ठ-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
परन्तु दूसरे ही क्षण मीनू के कदम अस्पताल की ओर बढ़ चले। उसके ह्रदय में एक अंतर्द्वंद्व था उसका अस्पताल में जाना उचित होगा या नहीं। कई बार उसको अंत:प्रेरणा ने उसे वापस मुड़ जाने के लिए प्रेरित किया, परंतु अंतर्द्वंद्व में फैसला नहीं कर पायी। उसके कदम अस्पताल की ओर बढ़ते गए उसने देखा कि वह अस्पताल के सामने खड़ी थी।
मीनू ने अमित के कमरे में प्रवेश किया, तो देखा कि अमित अपने पलंग पर लेटा हुआ अपनी माँ से बातें का रहा था। मीनू को देखकर उन्होंने उसे प्रेमपूर्वक बैठाया उसे देखकर अमित के मुरझाए चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई।
तभी माँ ने मीनू से पूछा, “मीनू तुम्हारी वकालत तो पूरी हो गई है ना?”
“हाँ आंटी ! मैंने प्रथम श्रेणी में वकालत पास कर ली है और अब यहाँ मेरठ में ही प्रेक्टिस भी शुरू कर दी है।”
अमित मीनू के आने से खुश क्यों हो गया?

उत्तर:
अमित ने मीनू का रिश्ता ठुकराकर मीनू के दिल को ठेस पहुँचाई थी इसलिए इस तरह मीनू के अस्पताल में आकर उसे मिलने से अमित खुश हो गया।

प्रश्न ठ-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
परन्तु दूसरे ही क्षण मीनू के कदम अस्पताल की ओर बढ़ चले। उसके ह्रदय में एक अंतर्द्वंद्व था उसका अस्पताल में जाना उचित होगा या नहीं। कई बार उसको अंत:प्रेरणा ने उसे वापस मुड़ जाने के लिए प्रेरित किया, परंतु अंतर्द्वंद्व में फैसला नहीं कर पायी। उसके कदम अस्पताल की ओर बढ़ते गए उसने देखा कि वह अस्पताल के सामने खड़ी थी।
मीनू ने अमित के कमरे में प्रवेश किया, तो देखा कि अमित अपने पलंग पर लेटा हुआ अपनी माँ से बातें का रहा था। मीनू को देखकर उन्होंने उसे प्रेमपूर्वक बैठाया उसे देखकर अमित के मुरझाए चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई।
तभी माँ ने मीनू से पूछा, “मीनू तुम्हारी वकालत तो पूरी हो गई है ना?”
“हाँ आंटी ! मैंने प्रथम श्रेणी में वकालत पास कर ली है और अब यहाँ मेरठ में ही प्रेक्टिस भी शुरू कर दी है।”
यह वार्तालाप किस-किस के मध्य चल रहा है? उनका आपस में क्या संबंध है?

उत्तर:
यह वार्तालाप मीनू और अमित की माँ के मध्य चल रहा है। उनका आपस में वैसे सीधा कोई संबंध नहीं है। वैसे अमित की माँ ने एक बार मीनू का रिश्ता अमीर घर की लड़की सरिता के लिए ठुकराया था।

प्रश्न ठ-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
परन्तु दूसरे ही क्षण मीनू के कदम अस्पताल की ओर बढ़ चले। उसके ह्रदय में एक अंतर्द्वंद्व था उसका अस्पताल में जाना उचित होगा या नहीं। कई बार उसको अंत:प्रेरणा ने उसे वापस मुड़ जाने के लिए प्रेरित किया, परंतु अंतर्द्वंद्व में फैसला नहीं कर पायी। उसके कदम अस्पताल की ओर बढ़ते गए उसने देखा कि वह अस्पताल के सामने खड़ी थी।
मीनू ने अमित के कमरे में प्रवेश किया, तो देखा कि अमित अपने पलंग पर लेटा हुआ अपनी माँ से बातें का रहा था। मीनू को देखकर उन्होंने उसे प्रेमपूर्वक बैठाया उसे देखकर अमित के मुरझाए चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई।
तभी माँ ने मीनू से पूछा, “मीनू तुम्हारी वकालत तो पूरी हो गई है ना?”
“हाँ आंटी ! मैंने प्रथम श्रेणी में वकालत पास कर ली है और अब यहाँ मेरठ में ही प्रेक्टिस भी शुरू कर दी है।”
वक्ता के वकालत पास करने से उन्हें विशेष खुशी क्यों हो रही है?

उत्तर:
अमित का एक्सीडेंट हो गया था और ऐसे में कोई लड़की अमित से मिलने आती है। और पूछताछ करने पर जब उन्हें पता चलता है कि वह कोई साधारण लड़की न होकर वकील है तो वक्ता बड़ी खुश होती है।

प्रश्न ठ-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
परन्तु दूसरे ही क्षण मीनू के कदम अस्पताल की ओर बढ़ चले। उसके ह्रदय में एक अंतर्द्वंद्व था उसका अस्पताल में जाना उचित होगा या नहीं। कई बार उसको अंत:प्रेरणा ने उसे वापस मुड़ जाने के लिए प्रेरित किया, परंतु अंतर्द्वंद्व में फैसला नहीं कर पायी। उसके कदम अस्पताल की ओर बढ़ते गए उसने देखा कि वह अस्पताल के सामने खड़ी थी।
मीनू ने अमित के कमरे में प्रवेश किया, तो देखा कि अमित अपने पलंग पर लेटा हुआ अपनी माँ से बातें का रहा था। मीनू को देखकर उन्होंने उसे प्रेमपूर्वक बैठाया उसे देखकर अमित के मुरझाए चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई।
तभी माँ ने मीनू से पूछा, “मीनू तुम्हारी वकालत तो पूरी हो गई है ना?”
“हाँ आंटी ! मैंने प्रथम श्रेणी में वकालत पास कर ली है और अब यहाँ मेरठ में ही प्रेक्टिस भी शुरू कर दी है।”
इन पंक्तियों का भाव अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर:
इन पंक्तियों का भाव यह है कि मीनू फैसला नहीं कर पा रही थी कि जिस लड़के ने उसे ठुकराया है वह उसी से मिलने अस्पताल जाएँ या नहीं।

प्रश्न ड-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह समझ नहीं पा रही थी कि हमारे समाज में स्त्री पुरुष में इतना भेद क्यों? यदि कोई लड़का अकेला रहता है तो समाज उस पर अंगुलियाँ नहीं उठाता, चाहे वह कितना ही अपराध क्यों न करता हो परंतु एक लड़की, चाहे वह कितना ही संयम शील जीवन क्यों न व्यतीत करती हो, फिर समाज उस पर दोषारोपण करता है।
किसी बातें सुनकर वक्ता इतनी परेशान है?

उत्तर:
मीनू जहाँ रहती थी वहीँ पर उनके पड़ोस में एक महिला रहती थी जिसे मीनू मौसी के नाम से संबोधित करती थी। यह पड़ोस वाली मौसी उसे एक दिन बस में मिल जाती है। वह एक अन्य महिला के साथ मीनू के अभी तक अविवाहित रहने की बात करती है और यह बातें सुनकर वह आहत हो जाती है।

प्रश्न ड-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह समझ नहीं पा रही थी कि हमारे समाज में स्त्री पुरुष में इतना भेद क्यों? यदि कोई लड़का अकेला रहता है तो समाज उस पर अंगुलियाँ नहीं उठाता, चाहे वह कितना ही अपराध क्यों न करता हो परंतु एक लड़की, चाहे वह कितना ही संयम शील जीवन क्यों न व्यतीत करती हो, फिर समाज उस पर दोषारोपण करता है।
समाज में स्त्री पुरुष में इतना भेद क्यों है?

उत्तर:
हमारे समाज में पहले से ही लड़की और लड़के में अंतर किया जाता रहा है। लड़का कितनी भी गलती करें उसे कभी कोई कुछ नहीं कहता परंतु यदि लड़की छोटी भी गलती करे तो पूरा समाज उस पर दोषारोपण करने लगता है।

प्रश्न ड-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह समझ नहीं पा रही थी कि हमारे समाज में स्त्री पुरुष में इतना भेद क्यों? यदि कोई लड़का अकेला रहता है तो समाज उस पर अंगुलियाँ नहीं उठाता, चाहे वह कितना ही अपराध क्यों न करता हो। परंतु एक लड़की, चाहे वह कितना ही संयम शील जीवन क्यों न व्यतीत करती हो, फिर समाज उस पर दोषारोपण करता है।
लड़की के जीवन में इतनी कठिनाईयाँ क्यों आती है?

उत्तर:
बचपन से ही लड़की को लड़कों से कम समझा और आँका जाता है इसलिए जब कभी कोई लड़की लड़कों के साथ बराबरी या कुछ अलग करने की कोशिश करती है तो पूरा समाज उसके विरुद्ध खड़ा हो जाता है इसलिए लड़की के जीवन में इतनी कठिनाईयाँ आती है।

प्रश्न ड-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह समझ नहीं पा रही थी कि हमारे समाज में स्त्री पुरुष में इतना भेद क्यों? यदि कोई लड़का अकेला रहता है तो समाज उस पर अंगुलियाँ नहीं उठाता, चाहे वह कितना ही अपराध क्यों न करता हो परंतु एक लड़की,चाहे वह कितना ही संयम शील जीवन क्यों न व्यतीत करती हो, फिर समाज उस पर दोषारोपण करता है।
इन पक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए?

उत्तर:
इन पंक्तियों का भाव लड़का और लड़की में भेद से है। यहाँ पर कहने का तात्पर्य यह है कि इस भेद के कारण लड़की अपने आप को कम समझने लगती है। उसके छोटे से भी अपराध को बहुत बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जाता है उसी जगह पर लड़का कितना भी अपराध क्यों न करे उसे कोई कुछ नहीं कहता है।

प्रश्न ढ-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मीनू दुल्हन बनी, उसकी डोली सजी और अपने पिया संग ससुराल को चल दी। मीनू को पा लेने पर अमित भी अब अपने को भाग्यशाली अनुभव कर रहा था।
दुल्हन के रूप में सजी मीनू आज साधारण पढ़ी मीनू नहीं, वरन् एक प्रसिद्ध वकील मीनू थी, जिसने आत्मविश्वास व लगन से विशेष ख्याति प्राप्त कर ली थी।
आज वह अपनी मंजिल तक पहुँच चुकी थी, जिसकी उसे तलाश थी।
‘आज मीनू का सपना पूरा हो गया’ स्पष्ट करो।

उत्तर:
यहाँ पर कहने का तात्पर्य यह है कि साधारण रंग-रूप की होने के कारण जहाँ उसे ठुकरा दिया था उसी परिवार ने बाद में उसे सिर आँखों पर उठाकर उसे अपने घर की बहू बना लिया था। साथ ही उसने अपने वकील बनने के लक्ष्य को भी पा लिया था।

प्रश्न ढ-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मीनू दुल्हन बनी,उसकी डोली सजी और अपने पिया संग ससुराल को चल दी। मीनू को पा लेने पर अमित भी अब अपने को भाग्यशाली अनुभव कर रहा था।
दुल्हन के रूप में सजी मीनू आज साधारण पढ़ी मीनू नहीं, वरन् एक प्रसिद्ध वकील मीनू थी, जिसने आत्मविश्वास व लगन से विशेष ख्याति प्राप्त कर ली थी।
आज वह अपनी मंजिल तक पहुँच चुकी थी, जिसकी उसे तलाश थी।
क्या वकील बनना ही मीनू की मंजिल थी?

उत्तर:
हाँ वकील बनना ही मीनू की मंजिल थी।

प्रश्न ढ-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मीनू दुल्हन बनी, उसकी डोली सजी और अपने पिया संग ससुराल को चल दी। मीनू को पा लेने पर अमित भी अब अपने को भाग्यशाली अनुभव कर रहा था।
दुल्हन के रूप में सजी मीनू आज साधारण पढ़ी मीनू नहीं, वरन् एक प्रसिद्ध वकील मीनू थी, जिसने आत्मविश्वास व लगन से विशेष ख्याति प्राप्त कर ली थी।
आज वह अपनी मंजिल तक पहुँच चुकी थी, जिसकी उसे तलाश थी।
सामाजिक बंधन से क्या मीनू मुक्त हो सकी?

उत्तर:
मीनू अमित से विवाह के बंधन में बंधने से सामजिक बंधन से मुक्त हो गई। हमारे समाज में लड़की कितनी भी सफलता क्यों न प्राप्त कर ले परंतु जब तक वह शादी करके अपना घर नहीं बसा लेती तब तक समाज उस पर दवाब बना रहता है।

प्रश्न ढ -iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मीनू दुल्हन बनी, उसकी डोली सजी और अपने पिया संग ससुराल को चल दी। मीनू को पा लेने पर अमित भी अब अपने को भाग्यशाली अनुभव कर रहा था।
दुल्हन के रूप में सजी मीनू आज साधारण पढ़ी मीनू नहीं, वरन् एक प्रसिद्ध वकील मीनू थी, जिसने
आत्मविश्वास व लगन से विशेष ख्याति प्राप्त कर ली थी।
आज वह अपनी मंजिल तक पहुँच चुकी थी, जिसकी उसे तलाश थी।
‘विशेष ख्याति’ से क्या तात्पर्य है?

उत्तर:
‘विशेष ख्याति’ से यहाँ तात्पर्य मीनू के वकील बनने से है। मीनू ने अपनी लगन और परिश्रम के बलबूते पर अपना वकील बनने का लक्ष्य पूरा किया।

ICSE Class 10 Hindi Solutions एकांकी-संचय – दीपदान

ICSE Class 10 Hindi Solutions एकांकी-संचय – दीपदान

ICSE SolutionsSelina ICSE SolutionsML Aggarwal Solutions

प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
‘तुम कभी रात में अकेले नहीं जाओगे। चारों तरफ़ जह़रीले सर्प घूम रहे हैं। किसी समय भी तुम्हें डस सकते हैं।’
वक्ता कौन है? उसका परिचय दीजिए।

उत्तर:
वक्ता पन्ना धाय है। वह स्वर्गीय महाराणा साँगा की स्वामिभक्त सेविका है। वह कर्तव्यनिष्ठ तथा आदर्श भारतीय नारी है। वह हमेशा कुँवर की सुरक्षा का ध्यान रखती है।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
‘तुम कभी रात में अकेले नहीं जाओगे। चारों तरफ़ जह़रीले सर्प घूम रहे हैं। किसी समय भी तुम्हें डस सकते हैं।’
श्रोता कौन है? उसका वक्ता से क्या संबंध है?

उत्तर :
श्रोता स्वर्गीय महाराणा साँगा का सबसे छोटा पुत्र है। उसकी माँ की मृत्यु के पश्चात से पन्ना धाय जोकि महाराज की सेविका थी उसने उसे माँ की तरह पाला।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
‘तुम कभी रात में अकेले नहीं जाओगे। चारों तरफ़ जह़रीले सर्प घूम रहे हैं। किसी समय भी तुम्हें डस सकते हैं।’
वक्ता के उपर्युक्त कथन कहने के पीछे क्या कारण था?

उत्तर:
महाराणा साँगा की मृत्यु के बाद उनका पुत्र राज सिंहासन का उत्तराधिकारी था परंतु उनकी आयु मात्र 14 वर्ष होने के कारण महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज के दासी पुत्र बनवीर को राज्य की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया। धीरे-धीरे वह राज्य हड़पने की योजना बनाने लगा। इस वजह से कुँवर उदय सिंह की जान को खतरा बढ़ जाने से पन्ना धाय ने उपर्युक्त कथन कहा।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
‘तुम कभी रात में अकेले नहीं जाओगे। चारों तरफ़ जह़रीले सर्प घूम रहे हैं। किसी समय भी तुम्हें डस सकते हैं।’
वक्ता श्रोता की सुरक्षा के प्रति चिंतित क्यों रहती थी?

उत्तर:
वक्ता पन्ना धाय एक देशभक्त राजपूतनी थी तथा अपने राजा के उत्तराधिकारी की रक्षा करना वह परम कर्तव्य समझती थी। महाराणा साँगा की मृत्यु के बाद उनका पुत्र राज सिंहासन का उत्तराधिकारी था परंतु उनकी आयु मात्र 14 वर्ष होने के कारण महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज के दासी पुत्र बनवीर को राज्य की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया। धीरे-धीरे वह राज्य हड़पने की योजना बनाने लगा। इसलिए पन्ना धाय कुँवर उदय सिंह की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहती थी।

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
पहाड़ बनने से क्या होगा? राजमहल पर बोझ बनकर रह जाओगी, बोझ! और नदी बनो तो तुम्हारा बहता हुआ बोझ पत्थर भी अपने सिर पर धारण करेंगे, आनंद और मंगल तुम्हारे किनारे होंगे, जीवन का प्रवाह होगा, उमंगों की लहरें होंगी, जो उठने में गीत गाएँगी, गिरने में नाच नाचेंगी।
यहाँ किसे पहाड़ कहा गया है? क्यों?

उत्तर:
यहाँ धाय माँ पन्ना को पहाड़ कहा गया है क्योंकि उनमें ईमानदारी और देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी है। जैसे एक पहाड़ अपने देश की सुरक्षा करता है वैसे ही पन्ना धाय भी अपने स्वर्गीय राजा के उत्तराधिकारी कुँवर उदय सिंह की रक्षा के लिए पहाड़ बनकर खड़ी है।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
पहाड़ बनने से क्या होगा? राजमहल पर बोझ बनकर रह जाओगी, बोझ! और नदी बनो तो तुम्हारा बहता हुआ बोझ पत्थर भी अपने सिर पर धारण करेंगे, आनंद और मंगल तुम्हारे किनारे होंगे, जीवन का प्रवाह होगा, उमंगों की लहरें होंगी, जो उठने में गीत गाएँगी, गिरने में नाच नाचेंगी।
उपर्युक्त कथन किसने किससे कहा? इसका अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
उपर्युक्त कथन रावल सरूप सिंह की पुत्री सोना ने धाय माँ पन्ना से कहा। इसका अर्थ यह है कि धाय माँ पन्ना बनवीर सिंह के साथ मिल जाए तथा अपने कर्तव्य कुँवर उदयसिंह की रक्षा से मुँह मोड़ ले।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
पहाड़ बनने से क्या होगा? राजमहल पर बोझ बनकर रह जाओगी, बोझ! और नदी बनो तो तुम्हारा बहता हुआ बोझ पत्थर भी अपने सिर पर धारण करेंगे, आनंद और मंगल तुम्हारे किनारे होंगे, जीवन का प्रवाह होगा, उमंगों की लहरें होंगी, जो उठने में गीत गाएँगी, गिरने में नाच नाचेंगी।
‘तुम्हारा बहता हुआ बोझ पत्थर भी अपने सिर पर धारण करेंगे’ का क्या तात्पर्य है?

उत्तर:
सोना पन्ना धाय को अपनी देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा
छोड़कर बनवीर के साथ मिल जाने की सलाह दे रही है।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
पहाड़ बनने से क्या होगा? राजमहल पर बोझ बनकर रह जाओगी, बोझ! और नदी बनो तो तुम्हारा बहता हुआ बोझ पत्थर भी अपने सिर पर धारण करेंगे, आनंद और मंगल तुम्हारे किनारे होंगे, जीवन का प्रवाह होगा, उमंगों की लहरें होंगी, जो उठने में गीत गाएँगी, गिरने में नाच नाचेंगी।
दीपदान उत्सव का आयोजन किसने और क्यों किया?

उत्तर:
दीपदान उत्सव उत्सव का आयोजन महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज के दासी पुत्र बनवीर ने किया जिसे राज्य की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया था। उसने सोचा प्रजाजन दीपदान उत्सव के नाचगाने में मग्न होगे तब कुँवर उदय सिंह को मारकर वह सत्ता हासिल कर सकता है।

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
दूर हट दासी। यह नाटक बहुत देख चुका हूँ। उदयसिंह की हत्या ही तो मेरे राजसिंहासन की सीढ़ी होगी।
उपयुक्त वाक्य का प्रसंग स्पष्ट करें।

उत्तर:
उपर्युक्त वाक्य बनवीर धाय पन्ना से कहता है जब वह कुँवर को मारने जाता है और पन्ना उन्हें रोकने का प्रयास करती है। पन्ना उसे कहती है कि मैं कुँवर को लेकर संन्यासिनी बन जाऊँगी, तुम ताज रख लो कुँवर के प्राण बक्श दो।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
दूर हट दासी। यह नाटक बहुत देख चुका हूँ। उदयसिंह की हत्या ही तो मेरे राजसिंहासन की सीढ़ी होगी।
पन्ना ने कुँवर को सुरक्षित स्थान पर किस तरह पहुँचाया?

उत्तर:
पन्ना धाय को जैसे ही बनवीर के षडयंत्र का पता चला वैसे ही पन्ना ने सोये हुए कुँवर को कीरत के जूठे पत्तलों के टोकरे में सुलाकर सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दिया।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
दूर हट दासी। यह नाटक बहुत देख चुका हूँ। उदयसिंह की हत्या ही तो मेरे राजसिंहासन की सीढ़ी होगी।
पन्ना ने क्या बलिदान दिया?

उत्तर:
पन्ना ने कुँवर को कीरत के जूठे पत्तलों के टोकरे में सुलाकर सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। उसके बाद कुँवर के स्थान पर अपने पुत्र चंदन को सुला दिया और उसका मुँह कपड़े से ढँक दिया। जब बलवीर कुँवर को मारने आया उसने चंदन को कुँवर समझकर मार डाला। इस प्रकार पन्ना ने देशधर्म के लिए अपनी ममता की बलि चढ़ा दी।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
दूर हट दासी। यह नाटक बहुत देख चुका हूँ। उदयसिंह की हत्या ही तो मेरे राजसिंहासन की सीढ़ी होगी।
प्रस्तुत एकांकी का सार लिखिए।

उत्तर:
महाराणा साँगा की मृत्यु के बाद उनका पुत्र राज सिंहासन का उत्तराधिकारी था परंतु उनकी आयु मात्र 14 वर्ष होने के कारण महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज के दासी पुत्र बनवीर को राज्य की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया। धीरे-धीरे वह राज्य हड़पने की योजना बनाने लगा।
पन्ना धाय स्वर्गीय महाराणा साँगा की स्वामिभक्त सेविका है। वह कर्तव्यनिष्ठ तथा आदर्श भारतीय नारी है। वह हमेशा कुँवर की सुरक्षा का ध्यान रखती है।
सोना पन्ना धाय को अपनी देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा
छोड़कर बनवीर के साथ मिल जाने की सलाह दे रही है। परंतु वह नहीं मानती।
बनवीर ने दीपदान उत्सव का आयोजन किया। उसने सोचा प्रजाजन दीपदान उत्सव के नाचगाने में मग्न होगे तब कुँवर उदय सिंह को मारकर वह सत्ता हासिल कर सकता है।
तभी किसी ने पन्ना को यह खबर दी और पन्ना ने कुँवर को कीरत के जूठे पत्तलों के टोकरे में सुलाकर सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। उसके बाद कुँवर के स्थान पर अपने पुत्र चंदन को सुला दिया और उसका मुँह कपड़े से ढँक दिया। जब बलवीर कुँवर को मारने आया उसने चंदन को कुँवर समझकर मार डाला। इस प्रकार पन्ना ने देशधर्म के लिए अपनी ममता की बलि चढ़ा दी।

ICSE Class 10 Hindi Solutions एकांकी-संचय – महाभारत की एक साँझ

ICSE Class 10 Hindi Solutions एकांकी-संचय – महाभारत की एक साँझ

ICSE SolutionsSelina ICSE SolutionsML Aggarwal Solutions

प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कह नहीं सकता संजय किसके पापों का परिणाम है, किसकी भूल थी जिसका भीषण विष फल हमें मिला। ओह! क्या पुत्र-मोह अपराध है, पाप है? क्या मैंने कभी भी…कभी भी…
उपर्युक्त अवतरण के वक्ता कौन है? उनका परिचय दें।

उत्तर:
उपर्युक्त अवतरण के वक्ता धृतराष्ट्र हैं। धृतराष्ट्र जन्म से ही नेत्रहीन थे। वे कौरवों के पिता हैं। दुर्योधन उनका जेष्ठ पुत्र हैं। इस समय वे अपने मंत्री संजय के सामने अपनी व्यथा को प्रकट कर रहे हैं।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कह नहीं सकता संजय किसके पापों का परिणाम है, किसकी भूल थी जिसका भीषण विष फल हमें मिला। ओह! क्या पुत्र-मोह अपराध है, पाप है? क्या मैंने कभी भी…कभी भी…
यहाँ पर श्रोता कौन है? वह वक्ता को क्या सलाह देता है और क्यों?

उत्तर :
यहाँ पर श्रोता धृतराष्ट्र का मंत्री है। उन्हें दिव्य दृष्टि प्राप्त थी। अपनी दिव्य दृष्टि की सहायता से वे धृतराष्ट्र को महाभारत के युद्ध का वर्णन बताते रहते हैं। इस समय वे धृतराष्ट्र को शांत रहने की सलाह देते हैं। संजय के अनुसार जो हो चुका है उस पर शोक करना व्यर्थ है।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कह नहीं सकता संजय किसके पापों का परिणाम है, किसकी भूल थी जिसका भीषण विष फल हमें मिला। ओह! क्या पुत्र-मोह अपराध है, पाप है? क्या मैंने कभी भी…कभी भी…
यहाँ पर भीषण विष फल किस ओर संकेत करता है स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
यहाँ पर धृतराष्ट्र के अति पुत्र-मोह से उपजे महाभारत के युद्ध की ओर संकेत किया गया है। पुत्र-स्नेह के कारण दुर्योधन की हर अनुचित माँगों और हरकतों को धृतराष्ट्र ने उचित माना। धृतराष्ट्र ने पुत्र-मोह में बड़ों की सलाह, राजनैतिक कर्तव्य आदि सबको नकारते हुए अपने पुत्र को सबसे अहम् स्थान दिया और जिसकी परिणिति महाभारत के भीषण युद्ध में हुई।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कह नहीं सकता संजय किसके पापों का परिणाम है, किसकी भूल थी जिसका भीषण विष फल हमें मिला। ओह! क्या पुत्र-मोह अपराध है, पाप है? क्या मैंने कभी भी…कभी भी…
पुत्र-मोह से क्या तात्पर्य है?

उत्तर:
पुत्र-मोह से यहाँ तात्पर्य अंधे प्रेम से है। धृतराष्ट्र अपने जेष्ठ पुत्र दुर्योधन से अंधा प्रेम करते थे इसलिए वे उसकी जायज नाजायज सभी माँगों को पूरा करते थे। इसी कारणवश दुर्योधन बचपन से दंभी और अहंकारी होता गया।

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जिस कालाग्नि को तूने वर्षों घृत देकर उभारा है, उसकी लपटों में साथी तो स्वाहा हो गए! उसके घेरे से तू क्यों बचना चाहता है? अच्छी तरह समझ ले, ये तेरी आहुति लिए बिना शांत न होगा।
दुर्योधन अपनी प्राण रक्षा के लिए क्या करता है?

उत्तर:
महाभारत के युद्ध में सभी मारे जाते हैं केवल एक अकेला दुर्योधन बचता है। युद्ध तब तक समाप्त नहीं माना जा सकता था जब तक कि दुर्योधन मारा नहीं जाता। इस समय दुर्योधन घायल अवस्था में है और अपने प्राण बचाने के लिए द्वैतवन के सरोवर में छिप जाता है।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जिस कालाग्नि को तूने वर्षों घृत देकर उभारा है, उसकी लपटों में साथी तो स्वाहा हो गए! उसके घेरे से तू क्यों बचना चाहता है? अच्छी तरह समझ ले, ये तेरी आहुति लिए बिना शांत न होगा।
उपर्युक्त कथन किसका का है? कथन का संदर्भ स्पष्ट करें।

उत्तर:
उपर्युक्त कथन भीम का है। प्रस्तुत कथन का संदर्भ दुर्योधन को सरोवर से बाहर निकालने का है। दुर्योधन
महाभारत के युद्ध में घायल हो जाता है और भागकर द्वैतवन के सरोवर में छिप जाता है। वह उसमें से बाहर नहीं निकलता है। तब उसे सरोवर से बाहर निकालने के लिए भीम उसे उपर्युक्त कथन कहकर ललकारता है।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जिस कालाग्नि को तूने वर्षों घृत देकर उभारा है, उसकी लपटों में साथी तो स्वाहा हो गए! उसके घेरे से तू क्यों बचना चाहता है? अच्छी तरह समझ ले, ये तेरी आहुति लिए बिना शांत न होगा।
उपर्युक्त कथन का दुर्योधन ने युधिष्ठिर को क्या उत्तर दिया?

उत्तर:
उपर्युक्त कथन का दुर्योधन ने उत्तर दिया कि वह सभी बातों को भली-भाँति जानता है लेकिन वह थककर चूर हो चुका है। उसकी सेना भी तितर-बितर हो गई है, उसका कवच फट गया है और उसके सारे शस्त्रास्त्र चूक गए हैं। उसे समय चाहिए और उसने भी पांडवों को तेरह वर्ष का समय दिया था।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जिस कालाग्नि को तूने वर्षों घृत देकर उभारा है, उसकी लपटों में साथी तो स्वाहा हो गए! उसके घेरे से तू क्यों बचना चाहता है? अच्छी तरह समझ ले, ये तेरी आहुति लिए बिना शांत न होगा।
‘घृत देकर उभारा है’ से क्या तात्पर्य है स्पष्ट करें।

उत्तर:
घृत उभारा है से तात्पर्य दुर्योधन की ईर्ष्या से है। भीम दुर्योधन से कहता है कि वर्षों से तुमने इस ईर्ष्या का बीज बोया है तो अब फसल तो तुम्हें ही काटनी होगी। कितनों को उसने इस ईर्ष्या रूपी अग्नि में जलाया है लेकिन आज स्वयं उन आग की लपटों से बचना चाहता है।

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जिस राज्य पर रत्ती भर भी अधिकार नहीं था, उसी को पाने के लिए तुमने युद्ध ठाना, यह स्वार्थ का तांडव नृत्य नहीं तो और क्या है? भला किस न्याय से तुम राज्याधिकार की माँग करते थे?
उपर्युक्त अवतरण के वक्ता तथा श्रोता के बारे में बताइए।

उत्तर:
उपर्युक्त अवतरण के वक्ता युधिष्ठिर और श्रोता दुर्योधन है। इस समय वक्ता युधिष्ठिर मरणासन्न श्रोता दुर्योधन को शांति प्रदान करने के उद्देश्य से आए हैं। इस समय दोनों के मध्य उचित अनुचित विचारों पर वार्तालाप चल रहा है।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जिस राज्य पर रत्ती भर भी अधिकार नहीं था, उसी को पाने के लिए तुमने युद्ध ठाना, यह स्वार्थ का तांडव नृत्य नहीं तो और क्या है? भला किस न्याय से तुम राज्याधिकार की माँग करते थे?
उपर्युक्त अवतरण में किस अधिकार की बात की जा रही है?

उत्तर:
उपर्युक्त अवतरण में राज्य के वास्तविक उत्तराधिकारी के संदर्भ में बात की जा रही है। यहाँ पर युधिष्ठिर का कहना है कि राज्य पर उनका वास्तविक अधिकार था यह जानते हुए भी दुर्योधन यह मानने के लिए कभी तैयार नहीं हुआ और इस कारण परिवार में ईर्ष्या और और झगड़े बढ़कर अंत में महाभारत के युद्ध में तब्दील हो गए।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जिस राज्य पर रत्ती भर भी अधिकार नहीं था, उसी को पाने के लिए तुमने युद्ध ठाना, यह स्वार्थ का तांडव नृत्य नहीं तो और क्या है? भला किस न्याय से तुम राज्याधिकार की माँग करते थे?
प्रस्तुत एकांकी का उद्देश्य लिखिए।

उत्तर:
प्रस्तुत एकांकी का उद्देश्य यह है कि आप चाहे कितने भी कूटनीतिज्ञ, बलवान और बुद्धिमान क्यों न हो परंतु यदि आप का रास्ता धर्म का नहीं है तो आपका अंत होना निश्चित है। साथ यह एकांकी मनुष्य को त्याग और सहनशीलता का पाठ भी पढ़ाती है। यही वे दो मुख्य कारण थे जिसके अभाव में महाभारत का युद्ध लड़ा गया। इसके अतिरिक्त इस एकांकी का एक और उद्देश्य यह भी दिखाना था कि इस युद्ध के लिए कौरव और पांडव दोनों ही पक्ष बराबर जिम्मेदार थे।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जिस राज्य पर रत्ती भर भी अधिकार नहीं था, उसी को पाने के लिए तुमने युद्ध ठाना, यह स्वार्थ का तांडव नृत्य नहीं तो और क्या है? भला किस न्याय से तुम राज्याधिकार की माँग करते थे?
महाभारत के युद्ध से हमें कौन-सी सीख मिलती है?

उत्तर:
महाभारत का युद्ध तो शुरू से लेकर अंत तक सीखों से ही भरा पड़ा हैं परंतु मुख्य रूप से यह युद्ध हमें यह सीख देता है कि कभी भी पारिवारिक धन-संपत्ति के लिए अपने ही भाईयों से ईर्ष्या और वैमनस्य नहीं रखना चाहिए क्योंकि इस प्रकार के लड़ाई-झगड़े में जीत कर भी हार ही होती है।

ICSE Class 10 Hindi Solutions एकांकी-संचय – सूखी डाली

ICSE Class 10 Hindi Solutions एकांकी-संचय – सूखी डाली

ICSE SolutionsSelina ICSE SolutionsML Aggarwal Solutions

प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इस फ़र्नीचर पर हमारे बाप-दादा बैठते थे, पिता बैठते थे, चाचा बैठते थे। उन लोगों को कभी शर्म नहीं आई, उन्होंने कभी फ़र्नीचर के सड़े-गले होने की शिकायत नहीं की।
उपर्युक्त अवतरण का वक्ता कौन है और इस समय वह किससे और क्यों बहस कर रहा है?

उत्तर:
उपर्युक्त अवतरण का वक्ता परेश है जो कि तहसीलदार है। इस समय वह अपनी पत्नी बेला से फ़र्नीचर के बाबत बहस कर रहा है।
बेला पढ़ी-लिखी और आधुनिक विचारधारा को मानने वाली स्त्री है। वह घर के पुराने फ़र्नीचर को बदलना चाहती है और इसलिए वह इस बात पर अपने पति परेश से बहस करती है।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इस फ़र्नीचर पर हमारे बाप-दादा बैठते थे, पिता बैठते थे, चाचा बैठते थे। उन लोगों को कभी शर्म नहीं आई, उन्होंने कभी फ़र्नीचर के सड़े-गले होने की शिकायत नहीं की।
श्रोता बेला के मायके और ससुराल में क्या अंतर है?

उत्तर :
बेला जो की घर की छोटी बहू है, बड़े घर से ताल्लुक रखती है। घर की इकलौती लड़की होने के कारण उसे अपने घर में बहुत अधिक लाड़-प्यार, मान सम्मान और स्वच्छंद वातावरण मिला था। उसके विपरीत उसका ससुराल एक संयुक्त परिवार था जो घर के दादाजी की छत्रछाया में जीता था। यहाँ के लोग सभी पुराने संस्कारों में ढले हैं।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इस फ़र्नीचर पर हमारे बाप-दादा बैठते थे, पिता बैठते थे, चाचा बैठते थे। उन लोगों को कभी शर्म नहीं आई, उन्होंने कभी फ़र्नीचर के सड़े-गले होने की शिकायत नहीं की।
बेला की फ़र्नीचर के बारे क्या राय थी?

उत्तर:
बेला बड़ी घर की एकलौती बेटी होने के कारण अपने मायके में लाड़-प्यार से पली-बढ़ी थी। यहाँ ससुराल में सभी पुराने संस्कारों को मानने वाले थे अत:घर की कोई भी चीज को बदलना नहीं चाहते थे। बेला की राय में कमरे का फ़र्नीचर सड़ा-गला और टूटा-फूटा है और वह इस प्रकार के फ़र्नीचर को अपने कमरे में रखने की बिल्कुल भी इच्छुक नहीं थी।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इस फ़र्नीचर पर हमारे बाप-दादा बैठते थे, पिता बैठते थे, चाचा बैठते थे। उन लोगों को कभी शर्म नहीं आई, उन्होंने कभी फ़र्नीचर के सड़े-गले होने की शिकायत नहीं की।
घर के फ़र्नीचर के बारे में वक्ता की राय क्या थी और वह उसे क्यों नहीं बदलना चाहता था?

उत्तर:
वक्ता परेश पढ़ा-लिखा और तहसीलदार पद को प्राप्त किया युवक है परंतु संयुक्त परिवार में रहने के कारण उसे घर के माहौल के साथ ताल-मेल बिठाकर कार्य करना होता है। उसकी पत्नी बेला को कमरे का फ़र्नीचर टूटा-पुराना और सड़ा-गला लगता है तो इस पर वक्ता कहता है कि यह वही फ़र्नीचर है जिस पर उसके दादा, पिता और चाचा बैठा करते थे। उन्होंने तो कभी फ़र्नीचर की ऐसी शिकायत नहीं की और यदि इस फ़र्नीचर को वह कमरे में न रखे तो उसके परिवार इसे ठीक नहीं समझेंगे। अत:वक्ता अपने कमरे का फ़र्नीचर बदलना नहीं चाहता था।

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मुझे किसी ने बताया तक नहीं। यदि कोई शिकायत थी तो उसे मिटा देना चाहिए था। हल्की सी खरोंच भी, यदि उस तत्काल दवाई न लगा दी जाए, बढ़कर एक घाव बन जाती और घाव नासूर हो जाता है, फिर लाख मरहम लगाओ ठीक नहीं होता।
उपर्युक्त अवतरण के वक्ता का परिचय दें।

उत्तर:
उपर्युक्त अवतरण के वक्ता घर के सबसे मुख्य सदस्य मूलराज परिवार के मुखिया हैं। वे संयुक्त परिवार के ताने-बाने में विश्वास रखते हैं। वे 72 वर्षीय हैं। परिवार के सभी लोग उनका सम्मान करते हैं। उन्होंने अपनी सूझ-बुझ और दूरदर्शिता से अपने परिवार को एक वट वृक्ष की भांति बाँध रखा है।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मुझे किसी ने बताया तक नहीं। यदि कोई शिकायत थी तो उसे मिटा देना चाहिए था। हल्की सी खरोंच भी, यदि उस तत्काल दवाई न लगा दी जाए, बढ़कर एक घाव बन जाती और घाव नासूर हो जाता है, फिर लाख मरहम लगाओ ठीक नहीं होता।
उपर्युक्त कथन से वक्ता का क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
उपर्युक्त कथन से वक्ता का आशय है कि जैसे ही कोई समस्या खड़ी होती है तुरंत उस समस्या का समाधान कर देना चाहिए अन्यथा बाद समस्या बड़ी गंभीर हो जाती है और फिर वह समस्या हल नहीं होती। यहाँ पर वक्ता का संकेत परेश की पत्नी बेला की समस्या की ओर है। वक्ता का मानना है कि छोटी बहू बेला की यदि कोई शिकायत है तो जल्द ही उसका निदान कर देना चाहिए।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मुझे किसी ने बताया तक नहीं। यदि कोई शिकायत थी तो उसे मिटा देना चाहिए था। हल्की सी खरोंच भी, यदि उस तत्काल दवाई न लगा दी जाए, बढ़कर एक घाव बन जाती और घाव नासूर हो जाता है, फिर लाख मरहम लगाओ ठीक नहीं होता।
घर की छोटी बहू की समस्या क्या है?

उत्तर:
घर की छोटी बहू संपन्न कुल की सुशिक्षित लड़की है। उसके घर और यहाँ के वातावरण में काफी अंतर होने के कारण वह घर के पारिवारिक सदस्यों के साथ ताल-मेल बैठाने में दिक्कत महसूस कर रही है। वहीँ घर के सदस्य उसे गर्वीली और अभिमानी समझते हैं और उसकी निंदा और उपहास करते रहते हैं। इसी कारण घर में अलगाव की नौबत आ चुकी है।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मुझे किसी ने बताया तक नहीं। यदि कोई शिकायत थी तो उसे मिटा देना चाहिए था। हल्की सी खरोंच भी, यदि उस तत्काल दवाई न लगा दी जाए, बढ़कर एक घाव बन जाती और घाव नासूर हो जाता है, फिर लाख मरहम लगाओ ठीक नहीं होता।
वक्ता ने समस्या का क्या समाधान सुझाया?

उत्तर:
घर को अलगाव से बचाने के लिए वक्ता ने घर के सभी सदस्यों को बुलाकर समझाया कि उन सभी को किस प्रकार से छोटी बहू के साथ व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने सभी को समझाया कि घर के सभी सदस्यों को छोटी बहू से ज्ञानार्जन करना चाहिए न कि उसकी बातों का मज़ाक उड़ाना चाहिए। इस प्रकार दादाजी की बातों का घर के सभी सदस्यों पर असर पड़ा और धीरे-धीरे छोटी बहू को भी बात समझ आ गई और वह मिलजुलकर घर के सदस्यों के साथ रहने लगी।

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
दादाजी, आप पेड़ से किसी डाली का टूटकर अलग होना पसंद नहीं करे, पर क्या आप यह चाहेंगे कि पेड़ से लगी-लगी वह डाल सूखकर मुरझा जाय…
उपर्युक्त अवतरण की वक्ता का परिचय दें।

उत्तर:
उपर्युक्त अवतरण की वक्ता मूलराज परिवार की छोटी बहू बेला है। वह एक संपन्न घराने की सुशिक्षित लड़की है। ससुराल के पुराने संस्कार और पारिवारिक सदस्यों से पहले वह सामंजस्य नहीं बैठा पाती है परंतु अंत में वह परिवार के सदस्यों के साथ मिलजुलकर रहने लगती है।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
दादाजी, आप पेड़ से किसी डाली का टूटकर अलग होना पसंद नहीं करे, पर क्या आप यह चाहेंगे कि पेड़ से लगी-लगी वह डाल सूखकर मुरझा जाय…
घर के सदस्यों का व्यवहार छोटी बहू के प्रति बदल कैसे जाता है?

उत्तर:
छोटी बहू हर समय अपने मायके की ही तारीफ़ करती रहती है। इस कारण घर के सभी सदस्य उसे अभिमानी समझते हैं और उसकी बातों पर हँसते रहते हैं परंतु जब घर के दादाजी द्वारा उन्हें समझाया जाता है तब घर के सभी सदस्यों का व्यवहार छोटी बहू के प्रति बदल जाता है।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
दादाजी, आप पेड़ से किसी डाली का टूटकर अलग होना पसंद नहीं करे, पर क्या आप यह चाहेंगे कि पेड़ से लगी-लगी वह डाल सूखकर मुरझा जाय…
उपर्युक्त कथन से वक्ता का क्या आशय है?

उत्तर:
उपर्युक्त कथन से वक्ता का आशय उसे अधिक दिए जाने वाले मान-सम्मान से हैं। दादाजी के समझाने पर परिवार के सदस्यों का व्यवहार इस हद तक बदल गया कि वे उसे जरूरत से ज्यादा सम्मान देने लगे जिसके कारण वह अपने आप को घर में उपेक्षित समझने लगी। पर इसके साथ ही उसे अपनी भूल का अहसास भी होने लगता है कि ऐसे व्यवहार के लिए वह खुद भी दोषी है।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
दादाजी, आप पेड़ से किसी डाली का टूटकर अलग होना पसंद नहीं करे, पर क्या आप यह चाहेंगे कि पेड़ से लगी-लगी वह डाल सूखकर मुरझा जाय…
वक्ता की मन:स्थिति का वर्णन कीजिए।

उत्तर:
बेला एक सुशिक्षित लड़की है। उसे अपने प्रति परिवार का बदला व्यवहार अच्छा नहीं लगता पर जब उसे पता चलता है कि घर का हर-एक सदस्य परिवार को अलगाव से बचाने के लिए दादाजी की आज्ञा का पालन कर रहा है तो उसे अपनी भूल समझ आती है कि वह भी इस परिवार का ही एक अंग है। क्यों न वह भी पहल करे और परिवार के साथ मिलजुलकर रहें और उपर्युक्त कथन वक्ता की इसी पारिवारिक जुड़ाव और मन की व्यथा का वर्णन करता है।

ICSE Class 10 Hindi Solutions एकांकी-संचय – मातृभूमि का मान

ICSE Class 10 Hindi Solutions एकांकी-संचय – मातृभूमि का मान

ICSE SolutionsSelina ICSE SolutionsML Aggarwal Solutions

प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
उनके पौरुष की परीक्षा का दिन आ पहुँचा है। महारावल बाप्पा का वंशज मैं लाखा प्रतिज्ञा करता हूँ कि जब तक बूँदी के दुर्ग में ससैन्य प्रवेश नहीं करूँगा, अन्न जल ग्रहण नहीं करूँगा।
महाराणा लाखा ने प्रतिज्ञा क्यों ली?

उत्तर:
मेवाड़ नरेश महाराणा लाखा ने सेनापति अभी सिंह से बूँदी के राव हेमू के पास यह संदेश भिजवाया कि बूँदी मेवाड़ की अधीनता स्वीकार करे ताकि राजपूतों की असंगठित शक्ति को संगठित करके एक सूत्र में बाँधा जा सके, परंतु राव ने यह कहकर प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया कि बूँदी महाराणाओं का आदर तो करता है, पर स्वतंत्र रहना चाहता है। हम शक्ति नहीं प्रेम का अनुशासन करना चाहते हैं। यह सुन कर राणा लाख प्रतिज्ञा करते हैं।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
उनके पौरुष की परीक्षा का दिन आ पहुँचा है। महारावल बाप्पा का वंशज मैं लाखा प्रतिज्ञा करता हूँ कि जब तक बूँदी के दुर्ग में ससैन्य प्रवेश नहीं करूँगा, अन्न जल ग्रहण नहीं करूँगा।
किसका वंशज क्या प्रतिज्ञा करता है?

उत्तर :
महारावल बाप्पा का वंशज महाराणा लाखा प्रतिज्ञा करते है कि ‘जब तक बूँदी के दुर्ग में ससैन्य प्रवेश नहीं करूँगा, अन्न जल ग्रहण नहीं करूँगा।’

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
उनके पौरुष की परीक्षा का दिन आ पहुँचा है। महारावल बाप्पा का वंशज मैं लाखा प्रतिज्ञा करता हूँ कि जब तक बूँदी के दुर्ग में ससैन्य प्रवेश नहीं करूँगा, अन्न जल ग्रहण नहीं करूँगा।
किसके पौरुष की परीक्षा का दिन आ गया?

उत्तर:
मेवाड़ के सैनिकों के लिये युद्ध-भूमि में वीरता दिखाने की परीक्षा का दिन आ गया।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
उनके पौरुष की परीक्षा का दिन आ पहुँचा है। महारावल बाप्पा का वंशज मैं लाखा प्रतिज्ञा करता हूँ कि जब तक बूँदी के दुर्ग में ससैन्य प्रवेश नहीं करूँगा, अन्न जल ग्रहण नहीं करूँगा।
महाराणा लाखा जनसभा में क्यों नहीं जाना चाहते?

उत्तर:
मेवाड़ के शासक महाराणा लाखा को नीमरा के युद्ध के मैदान में बूँदी के राव हेमू से पराजित होकर भागना पड़ा, इसलिए अपने को धिक्कारते हैं, और आत्मग्लानि अनुभव करने के कारण जनसभा में भी नहीं जाना चाहते।

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इस मिट्टी के दुर्ग को मिट्टी में मिलाने से मेरी आत्मा को संतोष नहीं होगा, लेकिन अपमान की वेदना में जो विवेकहीन प्रतिज्ञा मैंने कर डाली थी, उससे तो छुटकारा मिल ही जाएगा।
महाराणा ने किसके सुझाव पर बूँदी का नकली महल बनवाया?

उत्तर:
महाराणा ने चारणी सुझाव पर बूँदी का नकली महल बनवाया।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इस मिट्टी के दुर्ग को मिट्टी में मिलाने से मेरी आत्मा को संतोष नहीं होगा, लेकिन अपमान की वेदना में जो विवेकहीन प्रतिज्ञा मैंने कर डाली थी, उससे तो छुटकारा मिल ही जाएगा।
नकली दुर्ग क्यों बनवाया गया?

उत्तर:
महाराणा लाखा ने गुस्से में यह प्रतिज्ञा की थी कि जब तक वे बूँदी के दुर्ग में ससैन्य प्रवेश नहीं करेंगे, अन्न जल ग्रहण नहीं करेंगे। चारिणी ने उन्हें सलाह दी कि वे नकली दुर्ग का विध्वंस करके अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण कर ले। महाराणा ने यह प्रस्ताव स्वीकार किया क्योंकि वे हाड़ाओं को उनकी उदण्डता का दंड देना चाहते थे तथा अपने व्रत का भी पालन करना चाहते थे।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इस मिट्टी के दुर्ग को मिट्टी में मिलाने से मेरी आत्मा को संतोष नहीं होगा, लेकिन अपमान की वेदना में जो विवेकहीन प्रतिज्ञा मैंने कर डाली थी, उससे तो छुटकारा मिल ही जाएगा।
महाराणा की प्रतिज्ञा विवेकहीन क्यों थी?

उत्तर:
महाराणा ने बिना सोचे समझे प्रतिज्ञा की थी इसलिए यह विवेकहीन थी।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इस मिट्टी के दुर्ग को मिट्टी में मिलाने से मेरी आत्मा को संतोष नहीं होगा, लेकिन अपमान की वेदना में जो विवेकहीन प्रतिज्ञा मैंने कर डाली थी, उससे तो छुटकारा मिल ही जाएगा।
‘मातृभूमि का मान’ एकांकी शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए।

उत्तर:
प्रस्तुत एकांकी ‘मातृभूमि का मान’ शीर्षक सार्थक है क्योंकि यहाँ मातृभूमि के मान के लिए ही महाराणा लाखा, बूँदी के नरेश तथा वीर सिंह लड़ते है तथा वीरसिंह ने अपनी मातृभूमि बूँदी के नकली दुर्ग को बचाने के लिए अपने प्राण की आहुति दे दी।

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वीरसिंह और जिस जन्मभूमि की धूल में खेलकर हम बड़े हुए हैं, उसका अपमान भी कैसे सहन किया जा सकता है? हम महाराणा के नौकर हैं तो क्या हमने अपनी आत्मा भी उन्हें बेच दी है? जब कभी मेवाड़ की स्वतंत्रता पर आक्रमण हुआ है, हमारी तलवार ने उनके नमक का बदला दिया है।
वीरसिंह की मातृभूमि कौन-सी थी और वह मेवाड़ में क्यों रहता था?

उत्तर:
वीरसिंह की मातृभूमि बूँदी थी। वह मेवाड़ में इसलिए रहता था क्योंकि वह महाराणा लाखा की सेना नौकरी
करता था।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वीरसिंह और जिस जन्मभूमि की धूल में खेलकर हम बड़े हुए हैं, उसका अपमान भी कैसे सहन किया जा सकता है? हम महाराणा के नौकर हैं तो क्या हमने अपनी आत्मा भी उन्हें बेच दी है? जब कभी मेवाड़ की स्वतंत्रता पर आक्रमण हुआ है, हमारी तलवार ने उनके नमक का बदला दिया है।
वीरसिंह ने अपनी मातृभूमि के प्रति प्रेम किस तरह दिखाया?

उत्तर:
वीरसिंह ने अपनी मातृभूमि बूँदी के नकली दुर्ग को बचाने के लिए अपने साथियों के साथ प्रतिज्ञा ली कि प्राणों के होते हुए हम इस नकली दुर्ग पर मेवाड़ की राज्य पताका को स्थापित न होने देंगे तथा दुर्ग की रक्षा के लिए अपने प्राण की आहुति दे दी।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वीरसिंह और जिस जन्मभूमि की धूल में खेलकर हम बड़े हुए हैं, उसका अपमान भी कैसे सहन किया जा सकता है? हम महाराणा के नौकर हैं तो क्या हमने अपनी आत्मा भी उन्हें बेच दी है? जब कभी मेवाड़ की स्वतंत्रता पर आक्रमण हुआ है, हमारी तलवार ने उनके नमक का बदला दिया है।
वीरसिंह के बलिदान ने राजपूतों को क्या सिखा दिया?

उत्तर:
वीरसिंह के बलिदान ने राजपूतों को जन्मभूमि का मान करना सिखा दिया।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वीरसिंह और जिस जन्मभूमि की धूल में खेलकर हम बड़े हुए हैं, उसका अपमान भी कैसे सहन किया जा सकता है? हम महाराणा के नौकर हैं तो क्या हमने अपनी आत्मा भी उन्हें बेच दी है? जब कभी मेवाड़ की स्वतंत्रता पर आक्रमण हुआ है, हमारी तलवार ने उनके नमक का बदला दिया है।
‘मातृभूमि का मान’ एकांकी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
इस एकांकी में यह दिखाया गया है कि मातृभूमि की रक्षा के लिए क्या-क्या बलिदान नहीं करना पड़ता, यहाँ तक कि प्राणों का बलिदान भी करना पड़ता है। इस एकांकी में वीर सिंह के माध्यम से यह बताया गया है कि राजपूत किसी भी सूरत में अपनी मातृभूमि को किसी के अधीन नहीं देख सकते हैं इसलिए राजपूत अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की भी परवाह नहीं करते हैं। इस पूरी एकांकी में राजपूतों की मातृभूमि के प्रति ऐसी ही एकनिष्ठा को दर्शाया है।

ICSE Class 10 Hindi Solutions एकांकी-संचय – बहू की विदा

ICSE Class 10 Hindi Solutions एकांकी-संचय – बहू की विदा

ICSE SolutionsSelina ICSE SolutionsML Aggarwal Solutions

प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मेरे नाम पर जो धब्बा लगा, मेरी शान को जो ठेस पहुँची, भरी बिरादरी में जो हँसी हुई, उस करारी चोट का घाव आज भी हरा है। जाओ, कह देना अपनी माँ से कि अगर बेटी की विदा करना चाहती हो तो पहले उस घाव के लिए मरहम भेजें।
वक्ता और श्रोता कौन है?

उत्तर:
वक्ता जीवन लाल, कमला के ससुर है और श्रोता प्रमोद है जो अपनी बहन कमला की विदा के लिए उसके ससुराल आया है।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मेरे नाम पर जो धब्बा लगा, मेरी शान को जो ठेस पहुँची, भरी बिरादरी में जो हँसी हुई, उस करारी चोट का घाव आज भी हरा है। जाओ, कह देना अपनी माँ से कि अगर बेटी की विदा करना चाहती हो तो पहले उस घाव के लिए मरहम भेजें।
वक्ता का चरित्र चित्रण कीजिए।

उत्तर :
यहाँ वक्ता जीवन लाल है। जीवन लाल अत्यंत लोभी, लालची और असंवेदनशील व्यक्ति है।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मेरे नाम पर जो धब्बा लगा, मेरी शान को जो ठेस पहुँची, भरी बिरादरी में जो हँसी हुई, उस करारी चोट का घाव आज भी हरा है। जाओ, कह देना अपनी माँ से कि अगर बेटी की विदा करना चाहती हो तो पहले उस घाव के लिए मरहम भेजें।
जीवनलाल के अनुसार किस वजह से उनके नाम पर धब्बा लगा है?

उत्तर:
जीवनलाल के अनुसार बेटे की शादी में बहू कमला के परिवार वालों ने उनकी हैसियत के हिसाब से उनकी खातिरदारी नहीं की तथा कम दहेज दिया। इससे उनके मान पर धब्बा लगा है।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मेरे नाम पर जो धब्बा लगा, मेरी शान को जो ठेस पहुँची, भरी बिरादरी में जो हँसी हुई, उस करारी चोट का घाव आज भी हरा है। जाओ, कह देना अपनी माँ से कि अगर बेटी की विदा करना चाहती हो तो पहले उस घाव के लिए मरहम भेजें।
‘घाव के लिए मरहम भेजने’ का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
यहाँ पर ‘घाव के लिए मरहम भेजने’ का आशय दहेज से है। जीवन लाल शादी में कम दहेज मिलने के घाव को पाँच हजार रूपी मरहम देकर दूर करने कहते हैं।

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
अब शराफत और इन्सानियत की दुहाई देते हो। कुछ देर पहले तो …
इस कथन की वक्ता का चरित्र चित्रण कीजिए।

उत्तर:
इस कथन की वक्ता राजेश्वरी है। यह जीवन लाल की पत्नी है। वह एक नेक दिल औरत है। धैर्यवान तथा ममता की मूर्ति है। वह अन्याय का विरोध करती है। वह अपने पति जीवन लाल की उपर्युक्त कथन द्वारा आँखें खोल देती है।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
अब शराफत और इन्सानियत की दुहाई देते हो। कुछ देर पहले तो …
शराफत और इन्सानियत की दुहाई कौन दे रहा है? क्यों?

उत्तर:
जीवन लाल शराफत और इन्सानियत की दुहाई दे रहा है क्योंकि दहेज देने के बावजूद उसकी बेटी गौरी के ससुराल वालों उसे दहेज कम पड़ने की वजह से उसके भाई के साथ विदा न करके उसे अपमानित किया।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
अब शराफत और इन्सानियत की दुहाई देते हो। कुछ देर पहले तो …
वक्ता ने श्रोता की किस बात के लिए आलोचना की?

उत्तर:
वक्ता राजेश्वरी ने अपने पति जीवन लाल की लोभी प्रवृत्ति और दोगले व्यवहार के लिए उसकी आलोचना की। क्योंकि दहेज देने के बावजूद उसकी बेटी गौरी के ससुराल वालों के उसे दहेज कम पड़ने की वजह से उसके भाई के साथ विदा न करके उसे अपमानित करने पर जीवन लाल जीवन लाल शराफत और इन्सानियत की दुहाई देते है। जबकि खुद अपनी बहू को दहेज के पाँच हजार कम पड़ने की वजह से उसके भाई के साथ विदा नहीं करते और अपमानित करते हैं।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
अब शराफत और इन्सानियत की दुहाई देते हो। कुछ देर पहले तो …
वक्ता ने श्रोता की आँखे किस प्रकार खोली?

उत्तर:
दहेज देने के बावजूद उसकी बेटी गौरी के ससुराल वालों के उसे दहेज कम पड़ने की वजह से उसके भाई के साथ विदा न करके उसे अपमानित करने पर जीवन लाल जीवन लाल शराफत और इन्सानियत की दुहाई देते हैं। तब वक्ता राजेश्वरी ने अपने पति जीवन लाल की आँखें खोलने के लिए कहा अब तुम शराफत और इन्सानियत की दुहाई दे रहे हो जबकि खुद अपनी बहू को दहेज के पाँच हजार कम पड़ने की वजह से उसके भाई के साथ विदा नहीं करते और अपमानित कर रहे हो।

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कभी-कभी चोट भी मरहम का काम कर जाती है, बेटा।
अरे, खड़ी-खड़ी हमारा मुँह क्या ताक रहो हो? अन्दर जाकर तैयारी क्यों नहीं करती है? बहू की विदा नहीं करनी है क्या?
‘कभी-कभी चोट भी मरहम का काम कर जाती है’ कथन से वक्ता का क्या अभिप्राय है?

उत्तर:
‘कभी-कभी चोट भी मरहम का काम कर जाती है’ कथन से वक्ता जीवन लाल का यह अभिप्राय है कि बहू भी बेटी होती है और इस बात का उन्हें अहसास हो गया है।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कभी-कभी चोट भी मरहम का काम कर जाती है, बेटा। अरे, खड़ी-खड़ी हमारा मुँह क्या ताक रहो हो? अन्दर जाकर तैयारी क्यों नहीं करती है? बहू की विदा नहीं करनी है क्या?
वक्ता की बेटी के ससुराल वालों के किस काम से उनकी आँखें खुलीं?

उत्तर:
वक्ता जीवन लाल अपनी बेटी गौरी के ससुरालवालों को दहेज देने के बावजूद उसके ससुराल वालों ने उसे दहेज कम पड़ने की वजह से उसके भाई के साथ विदा न करके उसे अपमानित करने पर जीवन लाल की आँखें खुलीं।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कभी-कभी चोट भी मरहम का काम कर जाती है, बेटा।
अरे, खड़ी-खड़ी हमारा मुँह क्या ताक रहो हो? अन्दर जाकर तैयारी क्यों नहीं करती है? बहू की विदा नहीं करनी है क्या?
उपर्युक्त कथन का श्रोता और उसकी बहन पर क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर:
उपर्युक्त कथन को सुनकर प्रमोद मुस्करा कर अपने जीजा रमेश की ओर देखने लगा तथा उसकी बहन कमला खुशी के आँसू पोंछती हुई अंदर चली गई।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कभी-कभी चोट भी मरहम का काम कर जाती है, बेटा।
अरे, खड़ी-खड़ी हमारा मुँह क्या ताक रहो हो? अन्दर जाकर तैयारी क्यों नहीं करती है? बहू की विदा नहीं करनी है क्या?
क्या स्त्री शिक्षा दहेज प्रथा को समाप्त करने में सहायक हो सकती है? अपने विचार लिखिए।

उत्तर:
जी हाँ, स्त्री शिक्षा दहेज प्रथा को समाप्त करने में सहायक हो सकती है। शिक्षा से बेटियाँ खुद आत्मनिर्भर बनेंगी। समाज में बेटा-बेटी का फर्क मिट जाएगा तथा वे अपने अधिकार एंव अत्याचारों के प्रति सजग रहेंगी।

ICSE Class 10 Hindi Solutions एकांकी-संचय – संस्कार और भावना

ICSE Class 10 Hindi Solutions एकांकी-संचय – संस्कार और भावना

ICSE SolutionsSelina ICSE SolutionsML Aggarwal Solutions

प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
अपराध और किसका है। सब मुझी को दोष देते हैं। मिसरानी कह रही थी बहू किसी की भी हो, पर अपने प्राण देकर उसने पति को बचा लिया।
यहाँ पर किसके कौन-से अपराध की बात हो रही है?

उत्तर:
यहाँ पर अतुल और अविनाश की माँ खुद के रुढ़िवादी विचारों तथा जात-पात के संस्कारों को मानने के अपराध की बात कर रही है।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
अपराध और किसका है। सब मुझी को दोष देते हैं। मिसरानी कह रही थी बहू किसी की भी हो, पर अपने प्राण देकर उसने पति को बचा लिया।
माँ ने अविनाश की बहू को क्यों नहीं अपनाया? समझाकर लिखिए।

उत्तर :
माँ एक हिन्दू वृद्‌धा है। वे हिन्दू समाज की रूढ़िवादी संस्कारों से ग्रस्त हैं। वे संस्कारों की दास हैं। एक मध्यम परिवार में अपने पुराने संस्कारों की रक्षा करना धर्म माना जाता है। माँ भी वहीं करना चाहती थी। उसका बड़ा बेटा अविनाश अपनी माँ की इच्छा के विरुद्‌ध एक बंगाली लड़की से प्रेम-विवाह कर आया परन्तु माँ ने अपनी रूढ़िवादी मानसिकता के कारण विजातीय बहू को नहीं अपनाया।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
अपराध और किसका है। सब मुझी को दोष देते हैं। मिसरानी कह रही थी बहू किसी की भी हो, पर अपने प्राण देकर उसने पति को बचा लिया।
बहू ने किसे और किस बीमारी से प्राण देकर बचा लिया?

उत्तर:
बहू ने अपने पति अविनाश को हैजे की बीमारी से प्राण देकर बचा लिया। हैजे की बीमारी को छुआ-छूत की बीमारी माना जाता है।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
अपराध और किसका है। सब मुझी को दोष देते हैं। मिसरानी कह रही थी बहू किसी की भी हो, पर अपने प्राण देकर उसने पति को बचा लिया।
बहू किसकी, कौन और किस जाति की थी?

उत्तर:
बहू अविनाश की पत्नी थी जो की विजातीय (बंगाली) महिला थी।

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
काश कि मैं निर्मम हो सकती, काश कि मैं संस्कारों की दासता से मुक्त हो पाती तो कुल धर्म और जाति का भूत मुझे तंग न करता और मैं अपने बेटे से न बिछुड़ती। स्वयं उसने मुझसे कहा था, संस्कारों की दासता सबसे भयंकर शत्रु है।
कौन संस्कारों की दासता से मुक्त होने में विफल रहा और क्यों?

उत्तर:
यहाँ पर अतुल और अविनाश की माँ हिन्दू समाज की रूढ़िवादी संस्कारों से ग्रस्त हैं। वे संस्कारों की दास हैं। एक मध्यम परिवार में अपने पुराने संस्कारों की रक्षा करना धर्म माना जाता है। इसलिए माँ संस्कारों की दासता से मुक्त होने में विफल रही।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
काश कि मैं निर्मम हो सकती, काश कि मैं संस्कारों की दासता से मुक्त हो पाती तो कुल धर्म और जाति का भूत मुझे तंग न करता और मैं अपने बेटे से न बिछुड़ती। स्वयं उसने मुझसे कहा था, संस्कारों की दासता सबसे भयंकर शत्रु है।
माँ ने अपने विचारों के प्रति क्या पश्चाताप किया है?

उत्तर:
माँ ने अपने रूढ़ीवादी विचारों के कारण अपने बेटे-बहू से बिछड़ने का पश्चाताप किया है।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
काश कि मैं निर्मम हो सकती, काश कि मैं संस्कारों की दासता से मुक्त हो पाती तो कुल धर्म और जाति का भूत मुझे तंग न करता और मैं अपने बेटे से न बिछुड़ती। स्वयं उसने मुझसे कहा था, संस्कारों की दासता सबसे भयंकर शत्रु है।
अतुल और उमा माँ के किस निर्णय से प्रसन्न हैं?

उत्तर:
जब माँ को अविनाश की पत्नी की बीमारी की सूचना मिलती है तब उसका हृदय मातृत्व की भावना से भर उठता है। उसे इस बात का आभास है कि यदि बहू को कुछ हो गया तो अविनाश नहीं बचेगा। माँ को पता है कि अविनाश को बचाने की शक्ति केवल उसी में है। इसलिए वह प्राचीन संस्कारों के बाँध को तोड़कर अपने बेटे के पास जाना चाहती है। इस प्रकार बेटे की घर वापसी के निर्णय से अतुल और उमा प्रसन्न हैं।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
काश कि मैं निर्मम हो सकती, काश कि मैं संस्कारों की दासता से मुक्त हो पाती तो कुल धर्म और जाति का भूत मुझे तंग न करता और मैं अपने बेटे से न बिछुड़ती। स्वयं उसने मुझसे कहा था, संस्कारों की दासता सबसे भयंकर शत्रु है।
अविनाश की वधू का चरित्र-चित्रण कीजिए।

उत्तर:
अविनाश की वधू बहुत भोली और प्यारी थी, जो उसे एक बार देख लेता उसके रूप पर मंत्रमुग्ध हो जाता। बड़ी-बड़ी काली आँखें उनमें शैशव की भोली मुस्कराहट उसके रूप तथा बड़ों के प्रति आदर के भाव ने अतुल और उमा को प्रभावित किया।

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जिन बातों का हम प्राण देकर भी विरोध करने को तैयार रहते हैं। एक समय आता है, जब चाहे किसी कारण से भी हो, हम उन्हीं बातों को चुपचाप स्वीकार कर लेते हैं।
अविनाश का अपने परिवार वालों से किस बात पर विरोध था?

उत्तर:
अविनाश ने एक विजातीय (बंगाली) कन्या से विवाह किया था। किसी ने इस विवाह का समर्थन नहीं किया। अविनाश की माँ ने इसका सबसे ज्यादा विरोध किया और उसको घर से निकाल दिया।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जिन बातों का हम प्राण देकर भी विरोध करने को तैयार रहते हैं। एक समय आता है, जब चाहे किसी कारण से भी हो, हम उन्हीं बातों को चुपचाप स्वीकार कर लेते हैं।
माँ की मनोवृत्ति बदलने में अतुल और उमा ने क्या भूमिका निभाई?

उत्तर:
अविनाश ने एक विजातीय (बंगाली) कन्या से विवाह किया था। अविनाश की माँ ने इसका सबसे ज्यादा विरोध किया और उसको घर से निकाल दिया। माँ की इस रुढ़िवादी मनोवृत्ति को बदलने में अतुल और उमा ने भरपूर प्रयास किया। उन दोनों ने अविनाश की पत्नी के गुणों तथा विचारों से माँ को अवगत करवाया अतुल ने ही अपनी माँ को अविनाश की बहू को अपनाने के लिए प्रेरित किया। अतुल ने के द्वारा ही माँ को पता चलता है कि किस प्रकार उनकी बहू ने अपने प्राणों की परवाह न करके अविनाश की जान बचाई और अब बहू स्वयं बीमार है। इसलिए जब माँ को अविनाश की पत्नी की बीमारी की सूचना मिलती है तब उसका हृदय मातृत्व की भावना से भर उठता है। उसे इस बात का आभास है कि यदि बहू को कुछ हो गया तो अविनाश नहीं बचेगा।
इस प्रकार अतुल और उमा के सम्मिलित प्रयास से माँ अपनी बहू को अपना लेती है।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जिन बातों का हम प्राण देकर भी विरोध करने को तैयार रहते हैं। एक समय आता है, जब चाहे किसी कारण से भी हो, हम उन्हीं बातों को चुपचाप स्वीकार कर लेते हैं। अतुल का चरित्र-चित्रण कीजिए।

उत्तर:
अतुल एकांकी का प्रमुख पुरुष पात्र है। वह माँ का छोटा पुत्र है। वह प्राचीन संस्कारों को मानते हुए आधुनिकता में यकीन रखने वाला एक प्रगतिशील नवयुवक है। वह माँ का आज्ञाकारी पुत्र होते हुए भी माँ की गलत बातों का विरोध भी करता है। वह अपनी माँ से अपने बड़े भाई को विजातीय स्त्री से विवाह करने पर न अपनाने का भी विरोध करता है। अतुल संयुक्त परिवार में विश्वास रखता है। उसमें भ्रातृत्व की भावना है। वह अपने बड़े भाई का सम्मान करता है।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जिन बातों का हम प्राण देकर भी विरोध करने को तैयार रहते हैं। एक समय आता है, जब चाहे किसी कारण से भी हो, हम उन्हीं बातों को चुपचाप स्वीकार कर लेते हैं। एकांकी का सारांश लिखिए।

उत्तर:
विष्णु प्रभाकर द्‌वारा रचित “संस्कार और भावना” एकांकी में भारतीय हिंदू परिवार के पुराने संस्कारों से जकड़ी हुई रूढ़िवादिता तथा आधुनिक परिवेश में पले बड़े बच्चों के बीच संघर्ष की चेतना को चित्रित किया गया है।
अविनाश ने एक विजातीय (बंगाली) कन्या से विवाह किया था। किसी ने इस विवाह का समर्थन नहीं किया। अविनाश की माँ ने इसका सबसे ज्यादा विरोध किया और उसको घर से निकाल दिया। माँ अपने छोटे बेटे अतुल और उसकी पत्नी उमा के साथ रहती है पर बड़े बेटे से अलग रहना उसके मन को कष्ट पहुँचाता है।
एक बार जब माँ को पता चला कि अविनाश को प्राणघातक हैजे की बीमारी हुई थी और बहू ने अपने पति अविनाश को प्राण देकर बचा लिया। अब वह खुद बीमार है परंतु अविनाश में उसे बचाने की ताकत नहीं है। जब माँ को अविनाश की पत्नी की बीमारी की सूचना मिलती है तब उसका हृदय मातृत्व की भावना से भर उठता है। उसे इस बात का आभास है कि यदि बहू को कुछ हो गया तो अविनाश नहीं बचेगा। तब पुत्र-प्रेम की मानवीय भावना का प्रबल प्रवाह रूढ़िग्रस्त प्राचीन संस्कारों के जर्जर होते बाँध को तोड़ देता है। माँ अपने बेटे और बहू को अपनाने का निश्चय करती है।

ICSE Class 10 Hindi Solutions साहित्य सागर – दो कलाकार

ICSE Class 10 Hindi Solutions साहित्य सागर – दो कलाकार

ICSE SolutionsSelina ICSE SolutionsML Aggarwal Solutions

प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“मुझे तो तेरे दिमाग के कन्फ्यूजन का प्रतीक नज़र आ रहा है, बिना मतलब जिंदगी खराब कर रही है।”
उपर्युक्त अवतरण की वक्ता और श्रोता का परिचय दें।

उत्तर:
उपर्युक्त अवतरण की वक्ता अरुणा और श्रोता चित्रा है। ये दोनों अभिन्न सहेलियाँ हैं। अरुणा और चित्रा पिछले छः वर्षों से छात्रावास में एक साथ रहते हैं। चित्रा एक चित्रकार है और अरुणा को लोगों की सेवा करने में आनंद मिलता है।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“मुझे तो तेरे दिमाग के कन्फ्यूजन का प्रतीक नज़र आ रहा है, बिना मतलब जिंदगी खराब कर रही है।”
चित्रा का अरुणा को नींद में से जगाने का क्या उद्देश्य है?

उत्तर :
चित्रा एक चित्रकार है और अरुणा उसकी मित्र अभी-अभी कुछ समय पहले उसने एक चित्र पूरा किया था जिसे वह अपनी मित्र अरुणा को दिखाना चाहती थी इसलिए चित्रा ने अरुणा को नींद से जगा दिया।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“मुझे तो तेरे दिमाग के कन्फ्यूजन का प्रतीक नज़र आ रहा है, बिना मतलब जिंदगी खराब कर रही है।”
अरुणा ने चित्र को घनचक्कर क्यों कहा?

उत्तर:
चित्रा ने अरुणा को जब चित्र दिखाया तो तो उसमें सड़क, आदमी, ट्राम, बस, मोटर, मकान सब एक-दूसरे पर चढ़ रहे थे। मानो सबकी खिचड़ी पकाकर रख दी गई हो। इसलिए अरुणा ने उस चित्र को घनचक्कर कहा।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“मुझे तो तेरे दिमाग के कन्फ्यूजन का प्रतीक नज़र आ रहा है, बिना मतलब जिंदगी खराब कर रही है।”
चित्रा ने उस चित्र को किसका प्रतीक कहा और क्यों?

उत्तर:
चित्रा ने उस चित्र को कन्फ्यूजन का प्रतीक का प्रतीक कहा क्योंकि उस चित्र में सड़क, आदमी, ट्राम, बस, मोटर, मकान सब एक-दूसरे पर चढ़ रहे थे।

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कागज़ पर इन निर्जीव चित्रों को बनाने के बजाय दो-चार की जिंदगी क्यों नहीं बना देती! तेरे पास सामर्थ्य है, साधन हैं!”
उपर्युक्त कथन का संदर्भ स्पष्ट करें।

उत्तर:
चित्रा चाय पर अरुणा का इंतजार कर रही होती है। इतने में अरुणा का आगमन होता है और चित्रा उसे बताती है कि उसके पिता का पत्र आया है जिसमें आगे की पढ़ाई के लिए उसे विदेश जाने की अनुमति मिल गई है। उस समय आपसी बातचीत के दौरान अरुणा चित्रा से उपर्युक्त कथन कहती है।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कागज़ पर इन निर्जीव चित्रों को बनाने के बजाय दो-चार की जिंदगी क्यों नहीं बना देती! तेरे पास सामर्थ्य है, साधन हैं!”
उपर्युक्त कथन का तात्पर्य स्पष्ट करें।

उत्तर:
उपर्युक्त कथन से अरुणा का तात्पर्य चित्रा के असंवेदनशील होने से है। चित्रा चित्रकार होने के नाते केवल अपने चित्रों के बारे में ही सोचती रहती है। दुनिया में बड़ी-से-बड़ी घटना क्यों न घट जाय यदि चित्रा को उसमें चित्रकारी के लिए मॉडल नहीं मिलता तो उसके लिए वह घटना बेमानी होती है।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कागज़ पर इन निर्जीव चित्रों को बनाने के बजाय दो-चार की जिंदगी क्यों नहीं बना देती! तेरे पास सामर्थ्य है, साधन हैं!”
अरुणा ने आवेश में आकर यह क्यों कहा कि किस काम की ऐसी कला जो आदमी को आदमी न रहने दें।

उत्तर:
चित्रा दुनिया से कोई मतलब नहीं रखती थी। वह बस चौबीसों घंटे अपने रंग और तूलिकाओं में डूबी रहती थी। दुनिया में कितनी भी बड़ी घटना घट जाए, पर यदि उसमें चित्रा के चित्र के लिए कोई आइडिया नहीं तो वह उसके लिए कोई महत्त्व नहीं रखती थी। वह हर जगह, हर चीज में अपने चित्रों के लिए मॉडल ढूंढा करती थी। इसलिए अरुणा ने आवेश में आकर यह कहा कि किस काम की ऐसी कला जो आदमी को आदमी न रहने दें।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कागज़ पर इन निर्जीव चित्रों को बनाने के बजाय दो-चार की जिंदगी क्यों नहीं बना देती! तेरे पास सामर्थ्य है, साधन हैं!”
अरुणा उपर्युक्त कथन द्वारा चित्रा को क्या कहना चाहती है?

उत्तर:
अरुणा उपर्युक्त कथन द्वारा चित्रा को कहना चाहती है कि वह अमीर पिता की बेटी है उसके पास साधनों और पैसे की कोई कमी नहीं है अत: वह उन साधनों से किसी की जिंदगी सँवार सकती है।

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“आज चित्रा को जाना था। अरुणा सवेरे से ही उसका सारा सामान ठीक कर रही थी।”
चित्रा को कहाँ और क्यों जाना था?

उत्तर:
चित्रा को चित्रकला के संबंध में विदेश जाना था।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“आज चित्रा को जाना था। अरुणा सवेरे से ही उसका सारा सामान ठीक कर रही थी।”
चित्रा को घर लौटने में देर क्यों हुई?

उत्तर:
चित्रा को चित्रकला के संबंध में विदेश जाना था इसलिए वह अपने गुरु से मिल कर घर लौट रही थी। घर लौटते समय उसने देखा कि पेड़ के नीचे एक भिखारिन मरी पड़ी थी और उसके दोनों बच्चे उसके सूखे हुए शरीर से चिपक कर बुरी तरह रो रहे थे। उस दृश्य को चित्रा अपने केनवास पर उतारने लग गई इसलिए उसे घर लौटने में देर हो गई।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“आज चित्रा को जाना था। अरुणा सवेरे से ही उसका सारा सामान ठीक कर रही थी।”
चित्रा को कितने बजे जाना था और उसकी आँखें किसे ढूँढ रही थी?

उत्तर:
चित्रा को शाम की पाँच बजे की गाड़ी से जाना था और उसकी आँखें उसकी मित्र अरुणा को ढूँढ रही थी।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“आज चित्रा को जाना था। अरुणा सवेरे से ही उसका सारा सामान ठीक कर रही थी।”
विदेश में उसके किस चित्र को अनेक प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार मिल चुका था?

उत्तर:
चित्रा ने भिखारिन और उसके शरीर से चिपके उसके बच्चों का चित्र बनाया था जिसे उसने अनाथ शीर्षक दिया था। विदेश में उसका यही अनाथ शीर्षक वाला चित्र अनेक प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार प्राप्त कर चुका था।

प्रश्न घ-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“कुछ नहीं… मैं…सोच रही थी कि….” पर शब्द शायद उसके विचारों में खो गए।
अनेक प्रतियोगिताओं में चित्रा का कौन-सा चित्र प्रथम पुरस्कार पा चुका था?

उत्तर:
चित्रा जब भारत में थी तब उसने एक चित्र बनाया था। उस चित्र में एक भिखारिन मरी पड़ी थी और उसके दो बच्चे उसके सूखे शरीर से चिपककर बुरी तरह रो रहे थे। इस चित्र को चित्रा ने ‘अनाथ’ शीर्षक दिया था। चित्रा के इसी चित्र को अनेक प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार मिल चुका था।

प्रश्न घ-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“कुछ नहीं… मैं…सोच रही थी कि….” पर शब्द शायद उसके विचारों में खो गए।
भिखारिन के दोनों बच्चों का क्या हुआ?

उत्तर:
चित्रा ने अरुणा को भिखारिन और उसके दो बच्चों के बारे में बताया। अरुणा ने तुरंत भिखारिन के दोनों बच्चों को अपने घर ले आईं और उन्हें गोद लेकर उनका पालन-पोषण करने लगी। इस तरह अरुणा जैसी संवेदनशील व्यक्ति के कारण उन दो अनाथ बच्चों को घर, परिवार, मान-सम्मान और प्यार मिला।

प्रश्न घ-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“कुछ नहीं… मैं…सोच रही थी कि….” पर शब्द शायद उसके विचारों में खो गए।
अरुणा और चित्रा में से महान कलाकार कौन है और क्यों?

उत्तर:
अरुणा और चित्रा में से महान कलाकार अरुणा है क्योंकि चित्रा ने केवल ख्याति प्राप्त करने के उद्देश्य से चित्र बनाया और पर अरुणा ने बिना किसी स्वार्थ के उन बच्चों को अपनाया। चित्रा के लिए वे बच्चे केवल चित्र के मॉडल मात्र थे परंतु वहीँ दूसरी ओर अरुणा के सामने उनके भविष्य का प्रश्न था जिसे उसने सँवारा।

प्रश्न घ-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“कुछ नहीं… मैं…सोच रही थी कि….” पर शब्द शायद उसके विचारों में खो गए।
‘दो कलाकार’ कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
‘दो कलाकार’ कहानी अत्यंत मर्मस्पर्शी कहानी है। इस कहानी द्वारा लेखिका ने यह समझाने का प्रयास किया है कि निर्धन और असहाय लोगों की मदद करनी चाहिए। इस कहानी द्वारा सच्चे कलाकार की परिभाषा को भी परिभाषित करने का प्रयास किया गया है। लेखिका के अनुसार सच्चा कलाकार वह होता है जो समाज के साथ सहानुभूति और सरोकार रखता हो।

ICSE Class 10 Hindi Solutions साहित्य सागर – मातृ मंदिर की ओर [कविता]

ICSE Class 10 Hindi Solutions साहित्य सागर – मातृ मंदिर की ओर [कविता]

ICSE SolutionsSelina ICSE SolutionsML Aggarwal Solutions

प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
व्यथित है मेरा हृदय-प्रदेश,
चलू उनको बहलाऊँ आज।
बताकर अपना सुख-दुख उसे
हृदय का भार हटाऊँ आज।।
चलूँ माँ के पद-पंकज पकड़
नयन-जल से नहलाऊँ आज।
मातृ मंदिर में मैंने कहा….
चलूँ दर्शन कर आऊँ आज।।
किंतु यह हुआ अचानक ध्यान,
दीन हूँ छोटी हूँ अज्ञान।
मातृ-मंदिर का दुर्गम मार्ग
तुम्हीं बतला दो हे भगवान।।
किसका हृदय व्यथित है?

उत्तर:
कवयित्री का हृदय व्यथित है।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
व्यथित है मेरा हृदय-प्रदेश,
चलू उनको बहलाऊँ आज।
बताकर अपना सुख-दुख उसे
हृदय का भार हटाऊँ आज।।
चलूँ माँ के पद-पंकज पकड़
नयन-जल से नहलाऊँ आज।
मातृ मंदिर में मैंने कहा….
चलूँ दर्शन कर आऊँ आज।।
किंतु यह हुआ अचानक ध्यान,
दीन हूँ छोटी हूँ अज्ञान।
मातृ-मंदिर का दुर्गम मार्ग
तुम्हीं बतला दो हे भगवान।।
कवयित्री अपनी व्यथा को दूर करने के लिए क्या करना चाहती है?

उत्तर :
कवयित्री अपनी व्यथा को दूर करने के लिए मातृ मंदिर जाना चाहती है।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
व्यथित है मेरा हृदय-प्रदेश,
चलू उनको बहलाऊँ आज।
बताकर अपना सुख-दुख उसे
हृदय का भार हटाऊँ आज।।
चलूँ माँ के पद-पंकज पकड़
नयन-जल से नहलाऊँ आज।
मातृ मंदिर में मैंने कहा….
चलूँ दर्शन कर आऊँ आज।।
किंतु यह हुआ अचानक ध्यान,
दीन हूँ छोटी हूँ अज्ञान।
मातृ-मंदिर का दुर्गम मार्ग
तुम्हीं बतला दो हे भगवान।।
मातृ मंदिर का मार्ग कैसा है?

उत्तर:
मातृ मंदिर का मार्ग दुर्गम है।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
व्यथित है मेरा हृदय-प्रदेश,
चलू उनको बहलाऊँ आज।
बताकर अपना सुख-दुख उसे
हृदय का भार हटाऊँ आज।।
चलूँ माँ के पद-पंकज पकड़
नयन-जल से नहलाऊँ आज।
मातृ मंदिर में मैंने कहा….
चलूँ दर्शन कर आऊँ आज।।
किंतु यह हुआ अचानक ध्यान,
दीन हूँ छोटी हूँ अज्ञान।
मातृ-मंदिर का दुर्गम मार्ग
तुम्हीं बतला दो हे भगवान।।
शब्दार्थ लिखिए –
व्यथित, नयन-जल, दुर्गम

उत्तर:
व्यथित – दुखी
नयन-जल – आँसू
दुर्गम – जहाँ जाना कठिन हो

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मार्ग के बाधक पहरेदार
सुना है ऊँचे से सोपान
फिसलते हैं ये दुर्बल पैर
चढ़ा दो मुझको हे भगवान।।
अहा ! वे जगमग-जगमग जगी
ज्योतियाँ दीख रही हैं वहाँ।
शीघ्रता करो वाद्य बज उठे
भला मैं कैसे जाऊँ वहाँ?
सुनाई पड़ता है कल-गान
मिला दूँ मैं भी अपनी तान।
शीघ्रता करो मुझे ले चलो ,
मातृ मंदिर में हे भगवान।।
मार्ग के बाधक कौन है?

उत्तर:
मार्ग के बाधक पहरेदार है।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मार्ग के बाधक पहरेदार
सुना है ऊँचे से सोपान
फिसलते हैं ये दुर्बल पैर
चढ़ा दो मुझको हे भगवान।।
अहा ! वे जगमग-जगमग जगी
ज्योतियाँ दीख रही हैं वहाँ।
शीघ्रता करो वाद्य बज उठे
भला मैं कैसे जाऊँ वहाँ?
सुनाई पड़ता है कल-गान
मिला दूँ मैं भी अपनी तान।
शीघ्रता करो मुझे ले चलो,
मातृ मंदिर में हे भगवान।।
कवयित्री भगवान से सहायता क्यों माँग रही है?

उत्तर:
कवयित्री के पैर दुर्बल हैं और वो ऊँची सीढ़ियाँ चढ़ने में असमर्थ से इसलिए वह भगवान से सहायता माँग रही है।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मार्ग के बाधक पहरेदार
सुना है ऊँचे से सोपान
फिसलते हैं ये दुर्बल पैर
चढ़ा दो मुझको हे भगवान।।
अहा ! वे जगमग-जगमग जगी
ज्योतियाँ दीख रही हैं वहाँ।
शीघ्रता करो वाद्य बज उठे
भला मैं कैसे जाऊँ वहाँ?
सुनाई पड़ता है कल-गान
मिला दूँ मैं भी अपनी तान।
शीघ्रता करो मुझे ले चलो,
मातृ मंदिर में हे भगवान।।
‘अहा ! वे जगमग-जगमग जगी, ज्योतियाँ दिख रही हैं वहाँ।’ – आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
कवियित्री को माँ के मंदिर में जगमगाते दीपों का ज्योति पुंज दिखाई दे रहा है।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मार्ग के बाधक पहरेदार
सुना है ऊँचे से सोपान
फिसलते हैं ये दुर्बल पैर
चढ़ा दो मुझको हे भगवान।।
अहा ! वे जगमग-जगमग जगी
ज्योतियाँ दीख रही हैं वहाँ।
शीघ्रता करो वाद्य बज उठे
भला मैं कैसे जाऊँ वहाँ?
सुनाई पड़ता है कल-गान
मिला दूँ मैं भी अपनी तान।
शीघ्रता करो मुझे ले चलो,
मातृ मंदिर में हे भगवान।।
शब्दार्थ लिखिए –
सोपान, शीघ्रता, दुर्बल,

उत्तर:
सोपान – सीढ़ियाँ
शीघ्रता – जल्दी
दुर्बल – कमजोर

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
चलूँ मैं जल्दी से बढ़-चलूँ।
देख लूँ माँ की प्यारी मूर्ति।
आह ! वह मीठी-सी मुसकान
जगा जाती है, न्यारी स्फूर्ति।।
उसे भी आती होगी याद?
उसे, हाँ आती होगी याद।
नहीं तो रूठूँगी मैं आज
सुनाऊँगी उसको फरियाद।
कलेजा माँ का, मैं संतान
करेगी दोषों पर अभिमान।
मातृ-वेदी पर हुई पुकार,
चढ़ा दो मुझको, हे भगवान।।
कवयित्री क्यों जल्दी से आगे बढ़ना चाहती है?

उत्तर:
कवियित्री को माँ के मंदिर में जगमगाते दीपों का ज्योति पुंज दिखाई दे रहा है तथा वाद्य भी सुनाई दे रहे है इसलिए वे मातृ भूमि के चरणों में जाना चाहती है।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
चलूँ मैं जल्दी से बढ़-चलूँ।
देख लूँ माँ की प्यारी मूर्ति।
आह ! वह मीठी-सी मुसकान
जगा जाती है, न्यारी स्फूर्ति।।
उसे भी आती होगी याद?
उसे, हाँ आती होगी याद।
नहीं तो रूठूँगी मैं आज
सुनाऊँगी उसको फरियाद।
कलेजा माँ का, मैं संतान
करेगी दोषों पर अभिमान।
मातृ-वेदी पर हुई पुकार,
चढ़ा दो मुझको, हे भगवान।।
कवयित्री माँ को क्या सुनाना चाहती है?

उत्तर:
कवयित्री माँ को फरियाद सुनाना चाहती है।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
चलूँ मैं जल्दी से बढ़-चलूँ।
देख लूँ माँ की प्यारी मूर्ति।
आह ! वह मीठी-सी मुसकान
जगा जाती है, न्यारी स्फूर्ति।।
उसे भी आती होगी याद?
उसे, हाँ आती होगी याद।
नहीं तो रूठूँगी मैं आज
सुनाऊँगी उसको फरियाद।
कलेजा माँ का, मैं संतान
करेगी दोषों पर अभिमान।
मातृ-वेदी पर हुई पुकार,
चढ़ा दो मुझको, हे भगवान।।
कहाँ से पुकार हो रही है?

उत्तर:
मातृ-वेदी पर से पुकार हो रही है।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
चलूँ मैं जल्दी से बढ़-चलूँ।
देख लूँ माँ की प्यारी मूर्ति।
आह ! वह मीठी-सी मुसकान
जगा जाती है, न्यारी स्फूर्ति।।
उसे भी आती होगी याद?
उसे, हाँ आती होगी याद।
नहीं तो रूठूँगी मैं आज
सुनाऊँगी उसको फरियाद।
कलेजा माँ का, मैं संतान
करेगी दोषों पर अभिमान।
मातृ-वेदी पर हुई पुकार,
चढ़ा दो मुझको, हे भगवान।।
शब्दार्थ लिखिए –
स्फूर्ति, फरियाद

उत्तर:
स्फूर्ति – उत्तेजना
फरियाद – याचना

प्रश्न घ-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कलेजा माँ का, मैं संतान
करेगी दोषों पर अभिमान।
मातृ-वेदी पर हुई पुकार,
चढ़ा दो मुझको, हे भगवान।।
सुनूँगी माता की आवाज़
रहूँगी मरने को तैयार
कभी भी उस वेदी पर देव,
न होने दूँगी अत्याचार।
न होने दूँगी अत्याचार
चलो, मैं हो जाऊँ बलिदान।
मातृ-मंदिर में हुई पुकार, चढ़ा दो मुझको हे भगवान।
‘कलेजा माँ का, मैं संतान करेगी दोषों पर अभिमान।’ – का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
कवयित्री कहती है कि माँ का हृदय उदार होता है वह अपने संतान के दोषों पर ध्यान नहीं देती। उसे अपने संतान पर गर्व होता है।

प्रश्न घ-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कलेजा माँ का, मैं संतान
करेगी दोषों पर अभिमान।
मातृ-वेदी पर हुई पुकार,
चढ़ा दो मुझको, हे भगवान।।
सुनूँगी माता की आवाज़
रहूँगी मरने को तैयार
कभी भी उस वेदी पर देव,
न होने दूँगी अत्याचार।
न होने दूँगी अत्याचार
चलो, मैं हो जाऊँ बलिदान।
मातृ-मंदिर में हुई पुकार,चढ़ा दो मुझको हे भगवान।
कवयित्री किसके लिए तैयार है?

उत्तर:
कवयित्री मरने के लिए तैयार है।

प्रश्न घ-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कलेजा माँ का, मैं संतान
करेगी दोषों पर अभिमान।
मातृ-वेदी पर हुई पुकार,
चढ़ा दो मुझको, हे भगवान।।
सुनूँगी माता की आवाज़
रहूँगी मरने को तैयार
कभी भी उस वेदी पर देव,
न होने दूँगी अत्याचार।
न होने दूँगी अत्याचार
चलो, मैं हो जाऊँ बलिदान।
मातृ-मंदिर में हुई पुकार, चढ़ा दो मुझको हे भगवान।
कवयित्री किस पथ पर बढ़ना चाहती है?

उत्तर:
कवयित्री मातृभूमि की रक्षा में बलिदान के पथ पर बढ़ना चाहती है।

प्रश्न घ-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कलेजा माँ का, मैं संतान
करेगी दोषों पर अभिमान।
मातृ-वेदी पर हुई पुकार,
चढ़ा दो मुझको, हे भगवान।।
सुनूँगी माता की आवाज़
रहूँगी मरने को तैयार
कभी भी उस वेदी पर देव,
न होने दूँगी अत्याचार।
न होने दूँगी अत्याचार
चलो, मैं हो जाऊँ बलिदान।
मातृ-मंदिर में हुई पुकार, चढ़ा दो मुझको हे भगवान।
शब्दार्थ लिखिए –
अत्याचार, मातृ-मंदिर

उत्तर:
अत्याचार – जुल्म
मातृ-मंदिर – माता की मंदिर जिस मंदिर में विराजमान है

ICSE Class 10 Hindi Solutions साहित्य सागर – भेड़ें और भेड़िए

ICSE Class 10 Hindi Solutions साहित्य सागर – भेड़ें और भेड़िए

ICSE SolutionsSelina ICSE SolutionsML Aggarwal Solutions

प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
पशु समाज में इस ‘क्रांतिकारी’ परिवर्तन से हर्ष की लहर दौड़ गई कि समृद्धि और सुरक्षा का स्वर्ण-युग अब आया और वह आया।
पशु समाज में ‘क्रांतिकारी’ परिवर्तन क्यों आया?

उत्तर:
एक बार वन के पशुओं को ऐसा लगा कि वे सभ्यता के उस स्तर पहुँच गए हैं, जहाँ उन्हें एक अच्छी शासन-व्यवस्था अपनानी चाहिए और इसके लिए प्रजातंत्र की स्थापना करनी चाहिए। इस प्रकार पशु समाज में प्रजातंत्र की स्थापना का ‘क्रांतिकारी’ परिवर्तन आया।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
पशु समाज में इस ‘क्रांतिकारी’ परिवर्तन से हर्ष की लहर दौड़ गई कि समृद्धि और सुरक्षा का स्वर्ण-युग अब आया और वह आया।
प्रस्तुत अवतरण में ‘क्रांतिकारी’ परिवर्तन से क्या आशय है?

उत्तर :
प्रस्तुत अवतरण में ‘क्रांतिकारी’ परिवर्तन से आशय प्रजातंत्र की स्थापना से है। एक बार वन के पशुओं को ऐसा लगा कि वे सभ्यता के उस स्तर पहुँच, जहाँ उन्हें एक अच्छी शासन-व्यवस्था अपनानी चाहिए और इसके लिए प्रजातंत्र की स्थापना करनी चाहिए।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
पशु समाज में इस ‘क्रांतिकारी’ परिवर्तन से हर्ष की लहर दौड़ गई कि समृद्धि और सुरक्षा का स्वर्ण-युग अब आया और वह आया।
पशु समाज में हर्ष की लहर क्यों दौड़ पड़ी?

उत्तर:
पशु समाज ने जब प्रजातंत्र की स्थापना की बात सोची तो उन्हें लगा कि अब उनके जीवन में सुख-समृद्धि और सुरक्षा का स्वर्ण युग आ जाएगा इसलिए पशु में हर्ष की लहर दौड़ पड़ी।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
पशु समाज में इस ‘क्रांतिकारी’ परिवर्तन से हर्ष की लहर दौड़ गई कि समृद्धि और सुरक्षा का स्वर्ण-युग अब आया और वह आया।
प्रजातंत्र की स्थापना की कल्पना से भेड़ों में कौन-सी आशाएँ जागने लगी?

उत्तर:
प्रजातंत्र की स्थापना की कल्पना से भेड़ों को लगा कि अब उनका भय दूर हो जाएगा। वे उनके प्रतिनिधियों से कानून बनवाएँगे कि कोई जीवधारी किसी को न सताएँ, न मारे। सब जिएँ और जीने दें का पालन करेंगे। उनका समाज शांति, बंधुत्व और सहयोग पर आधारित होगा।

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
भेड़िया चिढ़कर बोला, “कहाँ की आसमानी बातें करता है? अरे, हमारी जाति कुल दस फीसदी है और भेड़ें तथा अन्य छोटे पशु नब्बे फीसदी। भला वे हमें काहे को चुनेंगे। अरे, जिंदगी अपने को मौत के हाथ सौंप सकती है? मगर हाँ, ऐसा हो सकता, तो क्या बात थी!”
भेड़ियों ने यह क्यों सोचा कि अब संकटकाल आ गया है?

उत्तर:
वन – प्रदेश में भेड़ों और अन्य छोटे पशुओं को मिलाकर उनकी संख्या नब्बे प्रतिशत थी इसलिए यदि प्रजातंत्र की स्थापना होती है तो वहाँ भेड़ों का ही राज होगा और यदि भेड़ों ने यह कानून बना दिया कि कोई पशु किसी को न मारे तो भेड़िये को खाना कैसे मिलेगा। इसलिए भेड़ियों ने सोचा कि प्रजातंत्र की स्थापना से उनपर संकटकाल आ गया है।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
भेड़िया चिढ़कर बोला, “कहाँ की आसमानी बातें करता है? अरे, हमारी जाति कुल दस फीसदी है और भेड़ें तथा अन्य छोटे पशु नब्बे फीसदी। भला वे हमें काहे को चुनेंगे। अरे, जिंदगी अपने को मौत के हाथ सौंप सकती है? मगर हाँ, ऐसा हो सकता, तो क्या बात थी!”
प्रस्तुत अवतरण में भेड़ें और भेड़िये किसका प्रतीक हैं?

उत्तर:
प्रस्तुत अवतरण में भेड़ सामान्य जनता का प्रतीक है। जो कपटी नेताओं के झांसे में आकर चुनावों के दौरान इन नेताओं को चुनकर यह सोचते हैं कि ये नेता इनका भला करेंगे।
वही दूसरी ओर भेड़िये उन राजनीतिज्ञों का प्रतीक हैं जो सामान्य जनता को अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों में फँसाकर अपना स्वार्थ साधते हैं।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
भेड़िया चिढ़कर बोला, “कहाँ की आसमानी बातें करता है? अरे, हमारी जाति कुल दस फीसदी है और भेड़ें तथा अन्य छोटे पशु नब्बे फीसदी। भला वे हमें काहे को चुनेंगे। अरे, जिंदगी अपने को मौत के हाथ सौंप सकती है? मगर हाँ, ऐसा हो सकता, तो क्या बात थी!”
सियार ने भेड़ियों को सरकस में जाने की सलाह क्यों दी?

उत्तर:
वन-प्रदेश में भेड़ों की संख्या अधिक थी और यदि प्रजातंत्र की स्थापना हो गई तो भेड़ियों के पास भागने के अलावा कोई चारा नहीं था इसलिए सियार ने भेड़ियों को सरकस में जाने की सलाह दी।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
भेड़िया चिढ़कर बोला, “कहाँ की आसमानी बातें करता है? अरे, हमारी जाति कुल दस फीसदी है और भेड़ें तथा अन्य छोटे पशु नब्बे फीसदी। भला वे हमें काहे को चुनेंगे। अरे, जिंदगी अपने को मौत के हाथ सौंप सकती है? मगर हाँ, ऐसा हो सकता, तो क्या बात थी!”
भेड़ियों ने बूढ़े सियार की बात मानने का निश्चय क्यों किया?

उत्तर:
प्रजातंत्र की खबर से भेड़िये बड़े परेशान थे। उन्हें इससे बचाने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। ऐसे समय में बूढ़े सियार ने जब उन्हें उम्मीद की किरण दिखाई कि वह कोई न कोई योजना बनाकर भेड़ियों की मदद कर देगा तो भेड़ियों ने बूढ़े सियार की बात मानने का निश्चय किया।

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
भेड़ों ने देखा तो वह बोली, “अरे भागो, यह तो भेड़िया है।”
बूढ़े सियार ने सियारों को क्यों रंगा?

उत्तर:
बूढ़े सियार ने भेड़ियों का चुनाव-प्रचार तथा भेड़ों को भ्रमित और गुमराह करने के लिए सियारों को रंगा था।
वन-प्रदेश में प्रजातंत्र की स्थापना से भेड़िये डर गए थे तब भेड़ियों की रक्षा करने के लिए बूढ़े सियार ने एक योजना बनाई जिसके अंतर्गत उसे भेड़ियों का प्रचार करना था और भेड़ों को यह विश्वास दिलाना था कि भेड़ों के लिए उपयुक्त उम्मीदवार भेड़िये ही है अपनी इस योजना को सफल बनाने के लिए ही उसने सियारों को रंगा था।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
भेड़ों ने देखा तो वह बोली, “अरे भागो, यह तो भेड़िया है।”
तीनों सियारों का परिचय किस प्रकार दिया गया?

उत्तर:
अपनी योजना को सफल बनाने के लिए सियार ने तीन सियारों को क्रमशः पीले, नीले और हरे में रंग दिया और भेड़ों के सामने उनका परिचय इस प्रकार दिया कि पीले रंगवाला सियार विद्वान, विचारक, कवि और लेखक है, नीले रंगवाले सियार को नेता और स्वर्ग का पत्रकार बताया गया और वहीँ हरे रंगवाले सियार को धर्मगुरु का प्रतीक बताया गया।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
भेड़ों ने देखा तो वह बोली, “अरे भागो, यह तो भेड़िया है।”
बूढ़े सियार ने भेड़िये का रूप क्यों बदला और उसे क्या सलाह दी?

उत्तर:
अपनी योजना को सफल बनाने के लिए बूढ़े सियार ने अपने साथियों को रंगने के बाद भेड़िये के रूप को भी बदला।
भेड़िये का रूप बदलने के बाद बूढ़े सियार ने उसे तीन बातें याद रखने की सलाह दी कि वह अपनी हिंसक आँखों को ऊपर न उठाए, हमेशा जमीन की ओर ही देखें और कुछ न बोलें और सब से जरुरी बात सभा में बहुत-सी भेड़ें आएगी गलती से उनपर हमला न कर बैठना।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
भेड़ों ने देखा तो वह बोली, “अरे भागो, यह तो भेड़िया है।”
पहले भेड़ें क्यों भागने लगीं?

उत्तर:
बूढ़े सियार ने एक संत के आने की खबर पूरे वन-प्रदेश में फैला रही थी इसलिए उसको देखने के लिए भेड़ें बड़ी संख्या में सभा-स्थल पर मौजूद थीं। पर जब उन्होंने अपने सामने संत के रूप में भेड़िये को देखा तो वे डर के मारे भागने लगीं।

प्रश्न घ-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
और, जब पंचायत में भेड़ों के हितों की रक्षा के लिए भेड़िये प्रतिनिधि बनकर गए।
प्रस्तुत पाठ में सियार किसके प्रतीक हैं?

उत्तर:
प्रस्तुत पाठ में सियार चापलूस व्यक्तियों के प्रतीक हैं। ये सियार मौकापरस्त होते हैं। ये अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए राजनीतिज्ञों की हाँ में हाँ मिलाते हैं और जनता को हमेशा गुमराह करने की कोशिश करते हैं।

प्रश्न घ-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
और, जब पंचायत में भेड़ों के हितों की रक्षा के लिए भेड़िये प्रतिनिधि बनकर गए।
प्रस्तुत पाठ में बूढ़े सियार की विशेषताएँ बताएँ।

उत्तर:
प्रस्तुत पाठ में बूढ़ा सियार बड़ा ही चतुर, स्वार्थी, धूर्त और अनुभवी भेड़ियों का चापलूस है। अपने अनुभव के आधार पर वह भेड़ियों की मदद कर उनकी नज़रों में आदरणीय बन जाता है और बिना कुछ करे उसे भेड़ियों द्वारा बचा हुआ मांस खाने को मिल जाता है।

प्रश्न घ-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
और, जब पंचायत में भेड़ों के हितों की रक्षा के लिए भेड़िये प्रतिनिधि बनकर गए।
चुनाव जीतने के बाद भेड़ियों ने पहला कानून क्या बनाया?

उत्तर:
चुनाव जीतने के बाद भेड़ियों ने पहला कानून यह बनाया कि रोज सुबह नाश्ते में उन्हें भेड़ का मुलायम बच्चा खाने को दिया जाए, दोपहर के भोजन में एक पूरी भेड़ तथा शाम को स्वास्थ्य के ख्याल से कम खाना चाहिए, इसलिए आधी भेड़ दी जाए।

प्रश्न घ-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
और, जब पंचायत में भेड़ों के हितों की रक्षा के लिए भेड़िये प्रतिनिधि बनकर गए।
‘भेड़ और भेड़िये’ कहानी द्वारा हमें क्या संदेश मिलता है?

उत्तर:
‘भेड़ और भेड़िये’ कहानी हमें राजनीतिज्ञों के षडयंत्रों तथा अपने चुनाव के अधिकार के सही प्रयोग करने का संदेश देता है। भोली-भाली जनता को नेता और उनके चापलूस मिलकर गुमराह करते रहते हैं अत: जनता की चाहिए कि वे सतर्क और सावधान रहकर अपने अधिकारों का प्रयोग करें।

ICSE Class 10 Hindi Solutions साहित्य सागर – चलना हमारा काम है [कविता]

ICSE Class 10 Hindi Solutions साहित्य सागर – चलना हमारा काम है [कविता]

ICSE SolutionsSelina ICSE SolutionsML Aggarwal Solutions

प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
गति प्रबल पैरों में भरी
फिर क्यों रहूँ दर दर खड़ा
जब आज मेरे सामने
है रास्ता इतना पड़ा
जब तक न मंज़िल पा सकूँ,
तब तक मुझे न विराम है, चलना हमारा काम है।

कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया
कुछ बोझ अपना बँट गया
अच्छा हुआ, तुम मिल गईं
कुछ रास्ता ही कट गया
क्या राह में परिचय कहूँ, राही हमारा नाम है,
चलना हमारा काम है।
कवि के पैरों में कैसी गति भरी पड़ी है?

उत्तर:
कवि के पैरों में प्रबल गति भरी पड़ी है।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
गति प्रबल पैरों में भरी
फिर क्यों रहूँ दर दर खड़ा
जब आज मेरे सामने
है रास्ता इतना पड़ा
जब तक न मंज़िल पा सकूँ,
तब तक मुझे न विराम है, चलना हमारा काम है।

कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया
कुछ बोझ अपना बँट गया
अच्छा हुआ, तुम मिल गईं
कुछ रास्ता ही कट गया
क्या राह में परिचय कहूँ, राही हमारा नाम है,
चलना हमारा काम है।

कवि दर-दर क्यों खड़ा नहीं होना चाहता?

उत्तर :
कवि के पैरों में प्रबल गति है, तो फिर उसे दर-दर खड़ा होने की क्या आवश्यकता है।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
गति प्रबल पैरों में भरी
फिर क्यों रहूँ दर दर खड़ा
जब आज मेरे सामने
है रास्ता इतना पड़ा
जब तक न मंज़िल पा सकूँ,
तब तक मुझे न विराम है, चलना हमारा काम है।

कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया
कुछ बोझ अपना बँट गया
अच्छा हुआ, तुम मिल गईं
कुछ रास्ता ही कट गया
क्या राह में परिचय कहूँ, राही हमारा नाम है,
चलना हमारा काम है।

कवि का रास्ता आसानी से कैसे कट गया?

उत्तर:
कवि को रस्ते में एक साथिन मिल गई जिससे उसने कुछ कह लिया और कुछ उसकी बातें सुन लीं जिसके कारण उसका बोझ कुछ कम हो गया और रास्ता आसानी से कट गया।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
गति प्रबल पैरों में भरी
फिर क्यों रहूँ दर दर खड़ा
जब आज मेरे सामने
है रास्ता इतना पड़ा
जब तक न मंज़िल पा सकूँ,
तब तक मुझे न विराम है, चलना हमारा काम है।

कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया
कुछ बोझ अपना बँट गया
अच्छा हुआ, तुम मिल गईं
कुछ रास्ता ही कट गया
क्या राह में परिचय कहूँ, राही हमारा नाम है,
चलना हमारा काम है।
शब्दार्थ लिखिए –
गति, प्रबल, विराम, मंज़िल

उत्तर:
गति – चाल
प्रबल – रफ्तार
विराम – आराम
मंज़िल – लक्ष्य

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जीवन अपूर्ण लिए हुए
पाता कभी खोता कभी
आशा निराशा से घिरा,
हँसता कभी रोता कभी
गति-मति न हो अवरुद्ध, इसका ध्यान आठों याम है,
चलना हमारा काम है।

इस विशद विश्व-प्रहार में
किसको नहीं बहना पड़ा
सुख-दुख हमारी ही तरह,
किसको नहीं सहना पड़ा
फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ, मुझ पर विधाता वाम है,
चलना हमारा काम है।

मनुष्य जीवन में किससे घिरा रहता है?

उत्तर:
मनुष्य जीवन में आशा और निराशा से घिरा रहता है।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जीवन अपूर्ण लिए हुए
पाता कभी खोता कभी
आशा निराशा से घिरा,
हँसता कभी रोता कभी
गति-मति न हो अवरुद्ध, इसका ध्यान आठों याम है,
चलना हमारा काम है।

इस विशद विश्व-प्रहार में
किसको नहीं बहना पड़ा
सुख-दुख हमारी ही तरह,
किसको नहीं सहना पड़ा
फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ, मुझ पर विधाता वाम है,
चलना हमारा काम है।
कवि ने जीवन को अपूर्ण क्यों कहा है?

उत्तर:
मनुष्य जीवन में कभी सुख तो कभी दुःख आते है। कभी कुछ पाता है तो कभी खोता है। आशा और निराशा से घिरा रहता है। इसलिए कवि ने जीवन को अपूर्ण कहा है।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जीवन अपूर्ण लिए हुए
पाता कभी खोता कभी
आशा निराशा से घिरा,
हँसता कभी रोता कभी
गति-मति न हो अवरुद्ध, इसका ध्यान आठों याम है,
चलना हमारा काम है।
इस विशद विश्व-प्रहार में
किसको नहीं बहना पड़ा
सुख-दुख हमारी ही तरह,
किसको नहीं सहना पड़ा
फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ, मुझ पर विधाता वाम है,
चलना हमारा काम है।
‘फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ, मुझ पर विधाता वाम है’ – का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
कवि के अनुसार इस संसार में हर व्यक्ति को सुख और दुख सहना पड़ता है और ईश्वर के आदेश के अनुसार चलना पड़ता है। इसीलिए कवि कहता है कि दुःख आने पर में क्यों कहता फिरूँ के मुझसे विधाता रुष्ट है।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जीवन अपूर्ण लिए हुए
पाता कभी खोता कभी
आशा निराशा से घिरा,
हँसता कभी रोता कभी
गति-मति न हो अवरुद्ध, इसका ध्यान आठों याम है,
चलना हमारा काम है।
इस विशद विश्व-प्रहार में
किसको नहीं बहना पड़ा
सुख-दुख हमारी ही तरह,
किसको नहीं सहना पड़ा
फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ, मुझ पर विधाता वाम है,
चलना हमारा काम है।
शब्दार्थ लिखिए –
अपूर्ण, आठों याम, विशद, वाम

उत्तर:
अपूर्ण – जो पूरा न हो
आठों याम – आठ पहर
विशद – बड़े
वाम – विरुद्ध

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मैं पूर्णता की खोज में
दर-दर भटकता ही रहा
प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ
रोडा अटकता ही रहा
निराशा क्यों मुझे?
जीवन इसी का नाम है,
चलना हमारा काम है।
साथ में चलते रहे
कुछ बीच ही से फिर गए
गति न जीवन की रूकी
जो गिर गए सो गिर गए
रहे हर दम,
उसी की सफलता अभिराम है,
चलना हमारा काम है
जो गिर गए सो गिर गए रहे हर दम, उसी की सफलता अभिराम है, चलना हमारा काम है।’ पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।

उत्तर:
उपर्युक्त पंक्ति का आशय निरंतर गतिशीलता से है। जीवन के पड़ाव में कई मोड़ आते हैं, कई साथी मिलते है, कुछ साथ चलते हैं तो कुछ बिछड़ भी जाते हैं। पर इसका यह अर्थ नहीं कि जीवन थम जाए जो भी कारण हो लेकिन जीवन को अबाध गति से चलते ही रहना चाहिए।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मैं पूर्णता की खोज में
दर-दर भटकता ही रहा
प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ
रोडा अटकता ही रहा
निराशा क्यों मुझे?
जीवन इसी का नाम है,
चलना हमारा काम है।

साथ में चलते रहे
कुछ बीच ही से फिर गए
गति न जीवन की रूकी
जो गिर गए सो गिर गए
रहे हर दम,
उसी की सफलता अभिराम है,
चलना हमारा काम है।
प्रस्तुत कविता में कवि दर-दर क्यों भटकता है?

उत्तर:
प्रस्तुत कविता में कवि पूर्णता की चाह रखता है और इसी पूर्णता को पाने के लिए वह दर-दर भटकता है।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मैं पूर्णता की खोज में
दर-दर भटकता ही रहा
प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ
रोडा अटकता ही रहा
निराशा क्यों मुझे?
जीवन इसी का नाम है,
चलना हमारा काम है।
साथ में चलते रहे
कुछ बीच ही से फिर गए
गति न जीवन की रूकी
जो गिर गए सो गिर गए
रहे हर दम,
उसी की सफलता अभिराम है,
चलना हमारा काम है।
शब्दार्थ लिखिए – रोड़ा, निराशा, अभिराम

उत्तर:
रोड़ा – बाधा
निराशा – दुःख
अभिराम – सुंदर

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मैं पूर्णता की खोज में
दर-दर भटकता ही रहा
प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ
रोडा अटकता ही रहा
निराशा क्यों मुझे?
जीवन इसी का नाम है,
चलना हमारा काम है।
साथ में चलते रहे
कुछ बीच ही से फिर गए
गति न जीवन की रूकी
जो गिर गए सो गिर गए
रहे हर दम,
उसी की सफलता अभिराम है,
चलना हमारा काम है
‘जीवन इसी का नाम है से क्या तात्पर्य है?

उत्तर:
जीवन इसी का नाम से तात्पर्य आगे बढ़ने में आने वाली रुकावटों से है। कवि के अनुसार इस जीवन रूपी पथ पर आगे बढ़ते हुए हमें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है परंतु हमें निराश या थककर नहीं बैठना चाहिए। जीवन पथ पर आगे बढ़ते हुए बाधाओं का आना स्वाभाविक है क्योंकि जीवन इसी का नाम होता है जब हम इन बाधाओं को पार कर आगे बढ़ते हैं।

ICSE Class 10 Hindi Solutions साहित्य सागर – जामुन का पेड़

ICSE Class 10 Hindi Solutions साहित्य सागर – जामुन का पेड़

ICSE SolutionsSelina ICSE SolutionsML Aggarwal Solutions

प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“बेचारा जामुन का पेड़ कितना फलदार था।”
जामुन का पेड़ कहाँ लगा हुआ था और उसके गिरने का क्या कारण था?

उत्तर:
जामुन का पेड़ सेक्रेटेरियट के लॉन में लगा हुआ था। एक रात बड़े जोर की आँधी आती है जिसके कारण जामुन का पेड़ गिर पड़ता है।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“बेचारा जामुन का पेड़ कितना फलदार था।”
उपर्युक्त कथन का वक्ता कौन है? वो दुखी क्यों है?

उत्तर :
उपर्युक्त कथन का वक्ता सेक्रेटेरियेट में काम करने वाला एक क्लर्क है, जो इस समय जामुन के पेड़ के गिर पड़ने से दुखी है क्योंकि ये जामुन का पेड़ अत्यंत फलदार और रसीला था।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“बेचारा जामुन का पेड़ कितना फलदार था।”
उपर्युक्त संवाद कहानी के किस प्रसंग में आए हैं?

उत्तर:
उपर्युक्त संवाद सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगे जामुन के पेड़ के गिरने के संदर्भ में आए हैं। सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगा पेड़ आँधी के कारण रात में गिर पड़ा और उसके नीचे एक आदमी दब गया। सुबह होने पर जब माली ने उसे देखा तो क्लर्क को बताया और इस तरह से वहाँ पर एक भीड़ इकट्ठी हो गई और उस समय जामुन के पेड़ को देखकर उपर्युक्त संवाद कहा गया है।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“बेचारा जामुन का पेड़ कितना फलदार था।”
इससे लोगों की किस मानसिकता का पता चलता है?

उत्तर:
उपर्युक्त संवाद से हमें लोगों की संवेदनशून्य होती मानसिकता का पता चलता है। जामुन के पेड़ के पास खड़ी भीड़ को उसके नीचे दबे व्यक्ति से कोई सहानुभूति नहीं होती उल्टे वे उस पेड़ के लगे जामुनों को याद कर शोक प्रकट करते हैं जिससे पता चलता है कि किस प्रकार लोग स्वार्थी और संवेदनशून्य होते जा रहे हैं।

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“अगर पेड़ नहीं काटा जा सकता तो इस आदमी को ही काटकर निकाल लिया जाए।”
जामुन के पेड़ का मामला हार्टीकल्चर विभाग तक कैसे पहुँचा?

उत्तर:
सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगा पेड़ आँधी के कारण रात में गिर पड़ा और उसके नीचे एक आदमी दब गया। वह पेड़ कृषि विभाग के अंतर्गत था परंतु कृषि विभाग ने उसके फलदार पेड़ होने के कारण जामुन के पेड़ का मामला हार्टीकल्चर विभाग को भेज दिया।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“अगर पेड़ नहीं काटा जा सकता तो इस आदमी को ही काटकर निकाल लिया जाए।”
हार्टीकल्चर विभाग ने जामुन के पेड़ काटने से मना क्यों किया?

उत्तर:
हार्टीकल्चर विभाग के सेक्रेटेरी का कहना था कि उनका विभाग आज जहाँ पेड़ लगाओ की स्कीम ऊँचें स्तर पर चला रही है वहाँ पर जामुन के इस फलदार पेड़ को काटने की अनुमति उसके विभाग द्वारा कभी भी नहीं दी जा सकती।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“अगर पेड़ नहीं काटा जा सकता तो इस आदमी को ही काटकर निकाल लिया जाए।”
उपर्युक्त कथन से हमें लोगों की किस मानसिकता का पता चलता है?

उत्तर:
उपर्युक्त कथन से हमें लोगों की संवेदनशून्य होती मानसिकता का पता चलता है। जामुन के पेड़ के पास खड़ी भीड़ को उसके नीचे दबे व्यक्ति से कोई सहानुभूति नहीं होती उल्टे वे उस व्यक्ति का मजाक उड़ाते हैं। वे ये भी नहीं सोचते कि इस तरह के मजाक से व्यक्ति को कितनी तकलीफ हो रही होगी कि जब आप किसी जिंदा व्यक्ति को काटने की बात कर रहे हो।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
अब क्या किया जाए? इस पर एक मनचले ने कहा –
“अगर पेड़ नहीं काटा जा सकता तो इस आदमी को ही काटकर निकाल लिया जाए।”
प्रस्तुत अवतरण का संदर्भ स्पष्ट करें।

उत्तर:
सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगा पेड़ आँधी के कारण रात में गिर पड़ा और उसके नीचे एक आदमी दब गया। और उस पेड़ को हार्टीकल्चर विभाग ने काटने से मना कर दिया तब उपर्युक्त संवाद वहाँ पर खड़े एक मनचले और असंवेदनशील आदमी द्वारा कहा गया है।

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“मगर एक आदमी की जान का सवाल है।”
उपर्युक्त कथन का संदर्भ स्पष्ट करें।

उत्तर:
जब फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के आदमी आरी, कुल्हाड़ी लेकर पहुँचे तो उन्हें पेड़ काटने से रोक दिया गया। मालूम हुआ कि विदेश-विभाग से हुक्म आया था कि इस पेड़ को न काटा जाए करण यह था, कि इस पेड़ को दस वर्ष पूर्व पिटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने लगाया था। अब यदि इस पेड़ को काटा गया तो पिटोनिया सरकार से हमारे देश के संबंध सदा के लिए बिगड़ सकते थे। इसी बात के संदर्भ में एक क्लर्क ने चिल्लाते हुए इस कथन को कहा।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“मगर एक आदमी की जान का सवाल है।”
विदेश विभाग ने पेड़ न काटने का हुक्म क्यों दिया?

उत्तर:
पेड़ को दस वर्ष पूर्व पिटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने सेक्रेटेरियट के लॉन में लगाया था। अब यदि इस पेड़ को काटा गया तो पिटोनिया सरकार से हमारे देश के संबंध सदा के लिए बिगड़ सकते थे। इस कारण विदेश विभाग ने पेड़ न काटने का हुक्म दिया।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“मगर एक आदमी की जान का सवाल है।”
अंत में पेड़ काटने की अनुमति कैसे मिलती है?

उत्तर:
विदेश विभाग अंत में फाइल लेकर प्रधानमंत्री के पास पहुँचते हैं। प्रधानमंत्री सारी अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी अपने सिर पर लेते हुए उस पेड़ को काटने की अनुमति दे देते हैं। अत: इस प्रकार फाइलें कई विभागों से गुजरते हुए अंत में जाकर प्रधानमंत्री द्वारा स्वीकृत होती है।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“मगर एक आदमी की जान का सवाल है।”
क्या अंत में उस व्यक्ति को पेड़ के नीचे से निकाल लिया जाता है? यदि नहीं तो क्यों स्पष्ट करें।

उत्तर:
नहीं, अंत में उस व्यक्ति को पेड़ के नीचे से निकाल लिया जाता है क्योंकि सरकारी विभाग के अधिकारी जामुन के पेड़ को हटाने तथा उस व्यक्ति को बचाने की बजाए फाइलें बनाने तथा उन फाइलों को अलग-अलग विभागों में पहुँचाने में लगे हुए थे और अंत में जब तक फैसला आया तब तक बहुत देर हो चुकी थी और उस व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी।

प्रश्न घ-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
सुनते हो? आज तुम्हारी फाइल पूर्ण हो गई मगर कवि का हाथ ठंडा था, आँखों की पुतलियाँ निर्जीव और चींटियों की एक लंबी पाँत उसके मुँह में जा रही थी…।
यहाँ पर किस फाइल की बात की जा रही है?

उत्तर:
सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगे जामुन के पेड़ के नीचे एक व्यक्ति कई दिन से दबा पड़ा रहता है और उसे वहाँ से निकालने के लिए विभिन्न विभागों से संपर्क किया जाता है और अंत में बात प्रधानमंत्री तक पहुँचती है और उस पेड़ को काटने का निर्णय किया जाता है यहाँ पर इसी फाइल के पूर्ण हो जाने से संबंधित बात की जा रही है।

प्रश्न घ-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
सुनते हो? आज तुम्हारी फाइल पूर्ण हो गई मगर कवि का हाथ ठंडा था, आँखों की पुतलियाँ निर्जीव और चींटियों की एक लंबी पाँत उसके मुँह में जा रही थी…।
दबे हुए व्यक्ति को इतने दिन पेड़ के नीचे से क्यों नहीं निकाला गया?

उत्तर:
यहाँ पर सरकारी विभाग की अकर्मण्यता की और ध्यान खींचा गया है कि किस तरह हर एक विभाग अपनी जिम्म्मेदारी से मुकर रहा था। हर एक विभाग अपनी जिम्मेदारी दूसरे विभाग के मत्थे मढ़ने पर लगा हुआ था। इसी कारणवश दबे हुए व्यक्ति को इतने दिन पेड़ के नीचे से नहीं निकाला गया।

प्रश्न घ-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
सुनते हो? आज तुम्हारी फाइल पूर्ण हो गई मगर कवि का हाथ ठंडा था, आँखों की पुतलियाँ निर्जीव और चींटियों की एक लंबी पाँत उसके मुँह में जा रही थी…।
उपर्युक्त कथन का वक्ता कौन है उसका परिचय दें।

उत्तर:
उपर्युक्त कथन का वक्ता सेक्रेटेरियेट में काम करने वाला एक माली है इसी ने सबसे पहले कवि के पेड़ के नीचे दबे होने की बात बताई थी। पूरी कहानी में चपरासी ही अकेला ऐसा व्यक्ति था जिसे कवि के प्रति सहानुभूति और चिंता थी।

प्रश्न घ-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
सुनते हो? आज तुम्हारी फाइल पूर्ण हो गई मगर कवि का हाथ ठंडा था, आँखों की पुतलियाँ निर्जीव और चींटियों की एक लंबी पाँत उसके मुँह में जा रही थी…।
प्रस्तुत कथन का आशय स्पष्ट करें।

उत्तर:
प्रस्तुत कथन का आशय सरकारी विभागों की अकर्मण्यता से है। यहाँ पर लेखक के कहने का तात्पर्य यह है कि लोग कितने असंवेदनशील हो गए है किसी को भी पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति के बारे में चिंता नहीं थी। सभी अपनी-अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे थे और पेड़ को न हटवाने का दोष एक दूसरे पर मढ़ रहे थे और सरकारी विभागों की इस देरी की वजह से उस आदमी की मौत हो जाती है।